Sunday 27 December 2015

प्यार इक कशिश

प्यार ! जो पूरा न हो, 
तू उन्हीं ख्वाइशों में से है एक!

प्यार! तू है इक कशिश,
कोशिशों के बावजूद भी 
जो रह जाती हो अधूरी ..! 
तू उन्हीं ख्वाइशों में से है एक....!!

गर कर सको तुम,
ले कोरे कागज़ को हाथो में,
दो अपने अक्शों का स्नेह स्पर्श,
तू उन्ही खलिशों में से है एक ...!!

हमने खुद में पिरोया है तुम्हे,
एक ताबीर की तरह ,.,
टूटे गर हम बिखर जाओगे तुम भी,
तू उन्ही तपिशों में से है एक ...!!

प्यार ! जो पूरा न हो, 
तू उन्हीं ख्वाइशों में से है एक!

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