Thursday 15 August 2019

विश्व विजयी तिरंगा

चलो न हम रंगें, ये जमीं, ये विश्व, ये आकाश,
अनूठे से, ये तीन रंग, हैं हमारे पास!

पर्वतों के शीष पर, हैं बिखेरे हमने रंग,
ये पहाड़ दुग्ध से, सदा ही हँसे हैं हमारे संग,
सन गए ये कभी, आतंक के खून संग,
खामोश से हुए, दुग्ध के आकाश!
चलो न हम रंगें, इस तिरंगे सा, ये पर्वताकाश!

रंग ये केसरी सा, बह रहा लहू के संग,
रंग जाएगी सरज़मीं, गर कट गए ये मेरे अंग,
मुल्क के ही वास्ते, बह रहा मेरा ये रंग,
केसरी सा ये रंग, है रंगों में खास!
चलो न हम रंगें, ये जमीं, ये नभ, ये आकाश!

पथरीली राह पर, है बिछा हरा सा रंग,
हँस रही ये सरजमीं, इन हरे-हरे रंगों के संग,
खिल उठे हैं खेत, उत्सवों के हैं उमंग,
हरा सा ये रंग, भर गया उल्लास!
क्यूं न हम रंगें, ये जमीं, ये विश्व, ये आकाश?

शान्ति का प्रतीक, है बना धवल ये रंग,
विश्व-शान्ति का संदेश, दे रहा धवल ये रंग,
क्लेश से परे, उज्जवल, धवल ये रंग,
उजाले यही, सदा ही होते काश!
फिर क्यूं न हम रंगें, इस विश्व का आकाश?

चलो न हम रंगें, ये जमीं, ये नभ, ये आकाश,
अनूठे से, ये तीन रंग, हैं हमारे पास!

                     - पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा

8 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (16-08-2019) को "आजादी का पावन पर्व" (चर्चा अंक- 3429) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    स्वतन्त्रता दिवस और रक्षाबन्धन की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में शुक्रवार 16 अगस्त 2019 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. बहुत सुंदर प्रस्तुति

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  4. जमीन और आकाश को अपने तिरंगे के रंगों में रंगना.... तीनो रंगों का अर्थ और महत्व बताती बहुत ही सुन्दर रचना....

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