Showing posts with label आक्रोश. Show all posts
Showing posts with label आक्रोश. Show all posts

Tuesday 28 November 2017

मैं, बस मैं नहीं

मैं, बस इक मैं ही नहीं.....इक जीवन दर्पण हूँ.....!

मैं, बस इक मैं ही नहीं.........
इक रव हूँ, इक धुन हूँ,
हृदय हूँ, आलिंगन हूँ, इक स्पंदन हूँ,
गीत हूँ, गीतों का सरगम हूँ
गूंजता हूँ हवाओं में,
संगीत बन यादों में बस जाता हूँ,
गुनगुनाता हूँ मन में, यूँ मन को तड़पाता हूँ.....

मैं, बस इक मैं ही नहीं........
इक दिल हूँ, इक धड़कन हूँ,
भावुक हूँ कुछ, थोड़ा बह जाता हूँ,
बंधकर पीड़ा में रह जाता हूँ,
खो जाता हूँ खुद में,
औरों के गम में आहत हो जाता हूँ,
विलखता हूँ मन में, एकान्त जब होता हूँ.....

मैं, बस इक मैं ही नहीं.........
इक रोश हूँ, इक आक्रोश हूँ,
गर्म खून हूँ, जुल्म से उबल जाता हूँ,
चुभती बात कहाँ सह पाता हूँ,
विरुद्ध हूँ मैं दमन के,
खुली चुनौती देकर लड़ जाता हूँ,
कलपता हूँ मन में, प्रभावित मैं होता हूँ....

मैं, बस इक मैं ही नहीं.........
इक राह हूँ, इक प्रवाह हूँ,
कभी रुकता हूँ, कभी चल पड़ता हूँ,
जूझकर रोड़ों से गिर पड़ता हूँ,
समाहित हूँ मैं खुद में,
यूँ राह प्रशस्त कर बढ़ जाता हूँ,
छलकता हूँ मन में, यूँ बस संभल जाता हूँ.....

मैं, बस इक मैं ही नहीं.........
इक जीव हूँ, इक जीवन हूँ, 
कभी सही हूँ, तो कभी गलत भी हूँ,
खबर नहीं है की सत्यकाम हूँ,
सत्यापित हूँ मैं खुद में,
बस जीवन को जीता जाता हूँ,
इठलाता हूँ मन में, यूँ खुद को बहलाता हूँ....

मैं, बस इक मैं ही नहीं....इक जीवन दर्पण हूँ.....!