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Monday 28 March 2016

प्रेमी हृदय की मौत

धड़कता था,
वो प्रेमी हृदय,
कभी इक सादगी पर,
उस सादगी के पीछे,
छुपा मगर,
इक चेहरा अलग,
आकण्ठ डूबी हुई,
वासना में उनकी नियत,
टूटकर बिखरा पड़ा,
अब यहीं वो कोमल हृदय।

मोल मन की,
भाव का,
कुछ भी नही उनके लिए,
दंश दिलों की,
सरहदों पर,
वो सदा देते रहे,
हृदय के,
आत्मीय संबंध,
खिलौने खेल के हुए,
वासना के आगे उनकी,
सर प्रीत के हैं झुके हुए।

घुट रहा दम,
उस हृदय का,
जीते जी वो मर रहा,
वो मरे या जले,
उसकी किसी को फिक्र क्या,
अन्त ऐसा ही हुआ,
जब प्रीत किसी हृदय ने किया,
वासना के सम्मुख,
प्रीत सदा नतमस्तक हुआ।