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Wednesday 6 January 2016

व्यक्तित्व

व्यक्तित्व धीर गंभीर हो, बने पेड़ सा ऊँचा,
आँधियों में भी हो खड़ा किए सिर ऊँचा,
उगते डूबते सूरज चाँद दे तुझको आशीष,
ऋतु बदलें, मेघ उमड़े तू न कभी पसीज।

व्यक्तित्व बने सन्तुलित शान्त धीर गंभीर,
विनम्रता की हरियाली से रहे आच्छादित,
अन्तस् में इसके उमरती रहे ममता भावना,
देश, समाज, जनकल्याण हो तेरी साधना।

पेड़ की मर्मरित पत्तियों सा हो कोमल हृदय,
नम्रता और विनम्रता करे इनके मार्ग प्रशस्थ,
तू बार-बार जा झूल प्रतिकूल हवाओं संग,
पर सफलता का श्रेय पैरों-तले मिट्टी को दे।

शख्शियत धीर गंभीर बने पेड़ सा बढ़ता रहे,
परिस्थितियाँ प्रतिकूल भी इन्हे हिला ना सकें, 
व्यक्तित्व की मजबूत जड़ें दूर धरती में रहे,
श्रेय तेरे मान अभिमान का समाज लेता रहे।

Saturday 26 December 2015

उम्र के इस पड़ाव पर

मानव मन की चाह होती असीमित,
ईच्छाएँ पैदा लेती इनमें अपरिमित,
चाहता ये ब्रम्हांड की सीमा छू लेना,
पर हासिल ना कुछ भी हो पाता।

सोचता था बरगद सा विशाल बनूँगा,
दरख्तों सी होगी शख्सियत हमारी,
विशाल कंधों पर होगा युग का जुआ,
पर हासिल ना कुछ भी हो पाता ।

बरगद जिसकी है असंख्य मजबूत बाहें,
शाखाएँ फैली चहुँ दिशा में लिए छाँव घने,
शख्सियत सागर पटल सी लंबी उम्र लिए,
पर हासिल ना कुछ भी हो पाया ।

ढ़लते उम्र के इस पड़ाव पर सोचता,
चंचल पखेरू मन अधीर सा होता जाता,
हाथों से रेत सी फिसलती जाती वक्त,
और हासिल ना कुछ भी कर पाता।

ईश्वर ने दिया है बस ईक जीवन,
सांसें भी दी है बस गिनतियों की,
करनी थी आशाएँ सब पूरी इनमें,
पर हासिल ना कुछ भी हो पाया ।

चाहता हूँ समय ले फिर से करवट,
उलटी दिशा में फिर लौट चले ये,
कर सकुँ शुरुआत पुनः जीवन का,
पर हासिल ना कुछ भी हो पाता ।

समय बलवान महत्ता इसकी तू पहचान,
कर कुछ ऐसा, बरगद से भी हो तू महान,
शख्सियत में तेरे, जड़ जाएं चांद-सितारे,
सागर पटल भी आएँ, छूने चरण तुम्हारे।

Thursday 17 December 2015

शख्शियत

शख्शियत.......

दरख्तों सी होनी चाहिए शख्शियत हमारी,
जड़े इतनी पैबंद के
हवा के मामुली झौंके हिला न सके इन्हें,
शाख इतने विशाल के,
दुनियां समा जाए इनकी आगोश में,
छाए इतने घने के,
पथिक क्षण भर विश्राम को मचल उठे
जीवन इतना महान के,
धरा झूम उठे, आसमां भी नाज करे,
मृ्त्यु इतनी शानदार के,
मानस रुपी घरों में चौखटों की तरह अंकित हो जाए

काश! शख्शियत दरख्तों सी बन पाती हमारी...
सूखे ठूंठ दरख्त नही,
बरगद सा विशाल दरख्त,,,,,,,,