कोई उजली किरण, कभी तो छू लेगी बदन!
फिर ना छलेगी, हमें ये अंधेरी सी रात,
चलेगी संग मेरे जब, कभी ये तारों की बारात,
अंधियारों में फूटेगी, आशा की इक लौ,
मन प्रांगण, जगमगाएंगे दिये सौ,
रौशन होगी, अन्तःकिरण!
कोई उजली किरण, कभी तो छू लेगी बदन!
जागेगा प्रभात, डूबेगी ये घनेरी रात,
चढ़ किरणों के रथ, चहकती आएगी प्रभात,
टूटेंगे दुःस्वप्न, अरमानों के सेज सजेंगे,
अंधेरे मन में, अन्तःज्योत जलेंगे,
जगाएगी, इक रश्मि-किरण !
कोई उजली किरण, कभी तो छू लेगी बदन!
पल में ढ़लेगी, फिर न छलेगी रात,
बात सुहानी कोई कहानी, मुझसे कहेगी रात,
रैन सजेंगे, खोकर स्वप्न में नैन जगेंगें,
अंधियारों से, यूँ इक स्वप्न छीनेंगे,
मिलेगी स्वप्निल, प्रभाकिरण !
कोई उजली किरण, कभी तो छू लेगी बदन!
- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
जागेगा प्रभात, डूबेगी ये घनेरी रात,
ReplyDeleteचढ़ किरणों के रथ, चहकती आएगी प्रभात,
टूटेंगे दुःस्वप्न, अरमानों के सेज सजेंगे,
अंधेरे मन में, अन्तःज्योत जलेंगे,
जगाएगी, इक रश्मि-किरण ! बहुत सुंदर और सार्थक रचना
बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय ।
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (17-08-2019) को " समाई हुई हैं इसी जिन्दगी में " (चर्चा अंक- 3430) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय ।
Deleteबहुत सुंदर सकारात्मक कविता।
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
iwillrocknow.com
बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय ।
Deleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय ।
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ReplyDeleteजय मां हाटेशवरी.......
आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
आप की इस रचना का लिंक भी......
18/08/2019 रविवार को......
पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
शामिल किया गया है.....
आप भी इस हलचल में......
सादर आमंत्रित है......
अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
http s://www.halchalwith5links.blogspot.com
धन्यवाद
बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय ।
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