tag:blogger.com,1999:blog-1797504268594212650.post4107620528288486181..comments2024-03-26T20:07:52.493+05:30Comments on कविता "जीवन कलश": स्पंदन (1101 वीं रचना)पुरुषोत्तम कुमार सिन्हाhttp://www.blogger.com/profile/16659873162265123612noreply@blogger.comBlogger20125tag:blogger.com,1999:blog-1797504268594212650.post-7143335561479640082019-11-12T09:37:30.694+05:302019-11-12T09:37:30.694+05:30सराहना हेतु हृदयतल से आभारसराहना हेतु हृदयतल से आभारपुरुषोत्तम कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/16659873162265123612noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1797504268594212650.post-24458565317934396802019-11-12T09:37:17.003+05:302019-11-12T09:37:17.003+05:30सराहना हेतु हृदयतल से आभारसराहना हेतु हृदयतल से आभारपुरुषोत्तम कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/16659873162265123612noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1797504268594212650.post-14387204573154386742019-11-12T09:37:04.148+05:302019-11-12T09:37:04.148+05:30आभार आदरणीया दीआभार आदरणीया दीपुरुषोत्तम कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/16659873162265123612noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1797504268594212650.post-66829091683420094652019-11-12T09:36:46.820+05:302019-11-12T09:36:46.820+05:30आपने भाई कहा, मन आह्लादित हो उठा। सदा के लिए आप मे...आपने भाई कहा, मन आह्लादित हो उठा। सदा के लिए आप मेरी बहन हो। शुभाशीष शुभकामनाएं पुरुषोत्तम कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/16659873162265123612noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1797504268594212650.post-23524930828067715862019-11-12T09:35:31.366+05:302019-11-12T09:35:31.366+05:30सराहना हेतु हृदयतल से आभारसराहना हेतु हृदयतल से आभारपुरुषोत्तम कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/16659873162265123612noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1797504268594212650.post-27515583874702274042019-11-12T09:35:19.334+05:302019-11-12T09:35:19.334+05:30आभारआभारपुरुषोत्तम कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/16659873162265123612noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1797504268594212650.post-85438510522508012702019-11-12T09:35:05.337+05:302019-11-12T09:35:05.337+05:30सराहना हेतु हृदयतल से आभारसराहना हेतु हृदयतल से आभारपुरुषोत्तम कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/16659873162265123612noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1797504268594212650.post-59065886994645368162019-11-12T09:34:53.326+05:302019-11-12T09:34:53.326+05:30सराहना हेतु हृदयतल से आभारसराहना हेतु हृदयतल से आभारपुरुषोत्तम कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/16659873162265123612noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1797504268594212650.post-29954076010248943322019-11-12T09:34:40.853+05:302019-11-12T09:34:40.853+05:30सराहना हेतु हृदयतल से आभारसराहना हेतु हृदयतल से आभारपुरुषोत्तम कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/16659873162265123612noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1797504268594212650.post-51836327432990017672019-11-12T09:34:24.866+05:302019-11-12T09:34:24.866+05:30सराहना हेतु हृदयतल से आभारसराहना हेतु हृदयतल से आभारपुरुषोत्तम कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/16659873162265123612noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1797504268594212650.post-33601898936424058272019-11-09T12:46:25.689+05:302019-11-09T12:46:25.689+05:30खूबसूरत कविताओं के साथ इतनी आगे तक आ गए आप इसकी आप...खूबसूरत कविताओं के साथ इतनी आगे तक आ गए आप इसकी आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएंAnita Laguri "Anu"https://www.blogger.com/profile/10443289286854259391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1797504268594212650.post-4285964203727777352019-11-08T08:42:26.773+05:302019-11-08T08:42:26.773+05:30बहुत सुन्दर कविता ! कविता के 11 शतक बनाने पर आपको ...बहुत सुन्दर कविता ! कविता के 11 शतक बनाने पर आपको हार्दिक बधाई! गोपेश मोहन जैसवालhttps://www.blogger.com/profile/02834185614715316752noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1797504268594212650.post-79481258751287853972019-11-08T06:49:48.815+05:302019-11-08T06:49:48.815+05:30अन्तर्मन जगी है, मीठी सी चुभन!
कट ही जाएंगे, विछोह...अन्तर्मन जगी है, मीठी सी चुभन!<br />कट ही जाएंगे, विछोह के हजार क्षण,<br />क्यूँ हो मन की पर्वतों पर विचलन?<br />उस स्पंदन से ही, गुंजित है मन! बेहद खूबसूरत रचना। वाह<br />1101रचनाएं। बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं आदरणीय।💐💐💐💐Anuradha chauhanhttps://www.blogger.com/profile/14209932935438089017noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1797504268594212650.post-22735414042620983502019-11-07T23:46:12.586+05:302019-11-07T23:46:12.586+05:30"...
स्पन्दित है सारे, आसमान के तारे,
यूँ ही ..."...<br />स्पन्दित है सारे, आसमान के तारे,<br />यूँ ही लहराते न बादल, आँचल पसारे,<br />यूँ हीं छुपते न चाँद, बादल किनारे,<br />उनकी ही आखों के, हैं ये इशारे!<br />..."<br /><br />बहुत खुबसूरत रचना। इसमें कितने सारे शब्द हैं! आप लाजवाब हैं। अब आपसे मिलने की इच्छा जग गई है। <br />और हाँ...<br />इस उपलब्धि (1101वीं रचना) के लिए बहुत-बहुत बधाई आपको।Prakash Sahhttps://www.blogger.com/profile/04882608306436611902noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1797504268594212650.post-45571457970141939612019-11-07T22:05:59.747+05:302019-11-07T22:05:59.747+05:30जी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल ...जी नमस्ते,<br />आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (08-11-2019) को <a href="http://charchamanch.blogspot.in/" rel="nofollow"> "भागती सी जिन्दगी" (चर्चा अंक- 3513)" </a> पर भी होगी।<br />आप भी सादर आमंत्रित हैं….<br />-अनीता लागुरी 'अनु' Anita Laguri "Anu"https://www.blogger.com/profile/10443289286854259391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1797504268594212650.post-25226287729846449192019-11-07T20:25:47.118+05:302019-11-07T20:25:47.118+05:301101 वी रचना के लिए बहुत बहुत बधाई, पुरुषोत्तम भाई...1101 वी रचना के लिए बहुत बहुत बधाई, पुरुषोत्तम भाई। आप इसी तरह शतक लगाते रहे....Jyoti Dehliwalhttps://www.blogger.com/profile/07529225013258741331noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1797504268594212650.post-26466774686238042632019-11-07T12:47:41.840+05:302019-11-07T12:47:41.840+05:30आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में&...<i><b> आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 07 नवम्बर 2019 को साझा की गई है.........<a href="https://mannkepaankhi.blogspot.com/" rel="nofollow"> "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर </a>आप भी आइएगा....धन्यवाद! </b></i>Digvijay Agrawalhttps://www.blogger.com/profile/10911284389886524103noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1797504268594212650.post-3684326963871423722019-11-07T11:24:44.363+05:302019-11-07T11:24:44.363+05:30कृपया छुते हुये पढ़ें। 🙏🙏कृपया छुते हुये पढ़ें। 🙏🙏रेणुhttps://www.blogger.com/profile/06997620258324629635noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1797504268594212650.post-53668486180024175752019-11-06T23:37:11.135+05:302019-11-06T23:37:11.135+05:30बदलते मौसमों में, हैं उनके ही रंग,
यूँ ही कुहुकुनी...बदलते मौसमों में, हैं उनके ही रंग,<br />यूँ ही कुहुकुनी , कुहुकती न अकारण,<br />यूँ व्याकुल पंछियाँ, करती न चारण,<br />यूँ न कलियाँ, चटकती अकारण<br /> बहुत सुंदर पुरुषोत्तम जी !!! सारे उपक्रम प्रेम के नाम !!!आपकी लेखनी ने साहित्य सृजन के शिखर अंक को छूटे हुए भी अपनी रचनाधर्मिता के उच्च स्तर को बनाकर रखा है | हार्दिक शुभकामनायें इस शुभ अंक वाली प्यारी सी रचना के लिए |रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1797504268594212650.post-26802626303076318462019-11-06T22:47:19.680+05:302019-11-06T22:47:19.680+05:30मुबारक हो।
यूं ही कविताओं के शतक मारते जाओ।
आपकी ...मुबारक हो।<br />यूं ही कविताओं के शतक मारते जाओ।<br /><br />आपकी इस रचना में प्रकृति का बेहद सुंदर ढंग से मानवीकरण करके महबूब से तुलना अतुलनीय है।<br />चाँद छुपते नही बादल किनारे... उफ्फ ये आंखों के इशारे।<br />कमाल कमाल कमाल।<br /><br />मेरी नई पोस्ट पर स्वागत है <a href="https://rohitasghorela.blogspot.com/2019/11/blog-post.html" rel="nofollow">जागृत आँख </a>Rohitas Ghorelahttps://www.blogger.com/profile/02550123629120698541noreply@blogger.com