कविता "जीवन कलश"

जीवन के अनुभवों पर, मेरे मन के उद्घोषित शब्दों की अभिव्यक्ति है - कविता "जीवन कलश"। यूं, जीवन की राहों में, हर पल छूटता जाता है, इक-इक लम्हा। वो फिर न मिलते हैं, कहीं दोबारा ! कभी वो ही, अपना बनाकर, विस्मित कर जाते हैं! चुनता रहता हूँ मैं, उन लम्हों को और संजो रखता हूँ यहाँ! वही लम्हा, फिर कभी सुकून संग जीने को मन करता है, तो ये, अलग ही रंग भर देती हैं, जीवन में। "वैसे, हाथों से बिखरे पल, वापस कब आते हैं! " आइए, महसूस कीजिए, आपकी ही जीवन से जुड़े, कुछ गुजरे हुए पहलुओं को। (सर्वाधिकार सुरक्षित)

Friday, 29 January 2021

अर्धसत्य सा

›
सत्य है यह, या थोड़ा सा अर्धसत्य! सत्य, क्या महज इक नजरिया? या समक्ष होकर, कहीं कुछ है विलुप्त! फिर, जो समक्ष है, उसका क्या? जो प्रभाव डाले,...
22 comments:
Tuesday, 26 January 2021

मन कह न पाए अलविदा

›
जीवन के क्षणों में, जीवन, बस रहा, कहीं उन निर्जनों में! कभी हो जाए, कोई विदा, फिर भी, मन कह न पाए, अलविदा! शायद, यही इक सुख-सार, है यही, संस...
10 comments:
Sunday, 24 January 2021

क्या रह सकोगे

›
उन्मुक्त कल्पनाओं के, स्वप्ननिल आकाश में, क्या सदा, रह सकोगे तुम? यूँ तो, विचरते हो, मुक्त कल्पनाओं में,  रह लेते हो, इन बंद पलकों में, पर, ...
38 comments:
Tuesday, 19 January 2021

झुर्रियाँ

›
बोझ सारे लिए, उभर आती हैं झुर्रियाँ, ताकि, सांझ की गर्दिश तले,  यादें ओझिल न हो, सांझ बोझिल न हो! उम्र, दे ही जाती हैं आहट! दिख ही जाती है, ...
29 comments:
Saturday, 16 January 2021

फेहरिस्तों का शहर

›
कभी, भूले से, कोई आता है इधर! जाने, कैसा ये शहर! लोग कहते हैं, कोई विराना है उधर! न इन्सान, न कोई राह-गुजर! हुए सदियों, कोई गुजरा न इधर, जान...
18 comments:
Sunday, 10 January 2021

वो खत

›
फिर वर्षों सहेजते! किताबों में रख देने से पहले, खत तो पढ़ लेते! यूँ ना बनते, हम, तन्हाई के, दो पहलू, एकाकी, इन किस्सों के दो पहलू, तन्हा रात...
22 comments:
Saturday, 9 January 2021

विचलन

›
आज, जरा विचलित है मन.... बिन छूए, कोई छू गया मेरा अन्तर्मन! या ये है, अन्तर्मन की प्रतिस्पर्धा! यूँ लगता है, जैसे! शायद, अछूता ही था,  अब तक...
12 comments:
‹
›
Home
View web version

About Me

My photo
पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
Berhampore (Murshidabad), West Bengal, India
मैं, एक आम व्यक्ति, बिल्कुल आप जैसा ही। बस लगाव है भावनाओं से, एक जुड़ाव है संवेदनाओं से। महसूस करता हूँ, तो कलम चल पड़ती है और जन्म लेती है, एक नई रचना। मेरी नवीनतम रचनाओं की जानकारी हेतु, आप इस ब्लॉग को फॉलो करें। इसकी सूचना आप मेरे WhatsApp / Contact No. 9507846018 के STATUS पर भी पा सकते हैं।
View my complete profile
Powered by Blogger.