कविता "जीवन कलश"

जीवन के अनुभवों पर, मेरे मन के उद्घोषित शब्दों की अभिव्यक्ति है - कविता "जीवन कलश"। यूं, जीवन की राहों में, हर पल छूटता जाता है, इक-इक लम्हा। वो फिर न मिलते हैं, कहीं दोबारा ! कभी वो ही, अपना बनाकर, विस्मित कर जाते हैं! चुनता रहता हूँ मैं, उन लम्हों को और संजो रखता हूँ यहाँ! वही लम्हा, फिर कभी सुकून संग जीने को मन करता है, तो ये, अलग ही रंग भर देती हैं, जीवन में। "वैसे, हाथों से बिखरे पल, वापस कब आते हैं! " आइए, महसूस कीजिए, आपकी ही जीवन से जुड़े, कुछ गुजरे हुए पहलुओं को। (सर्वाधिकार सुरक्षित)

Sunday, 27 November 2022

सालगिरह - 29वां

›
उनको छू कर, किनारों से, गुजर रही है ये उमर! बहाव सारे, बन गए किनारे, ठहराव में हमारे, रुक गया, ये कहकशां, बनकर रह-गुजर! उनको छू कर, किनारों ...
14 comments:
Saturday, 19 November 2022

जब-जब ढूंढ़ोगे

›
विश्रांतियों में, महसूस करोगे! जब-जब ढूंढ़ोगे! यूं तो, दो पल चैन कहां, लेने देगी, यह जीवन, जां ही लेगी, वन-वन, ये पतझड़ ही, ले जाएगी, मरुवन ...
10 comments:
Wednesday, 16 November 2022

झरोखा काम का

›
वही इक झरोखा... मेरे काम का! उभर आती है जो, कितनी सायों के संग, कभी संदली, कभी गोधूलि, रातें कभी, बूंदों से धुली, कहीं झांकती, कली कोई अधखुल...
12 comments:
Tuesday, 8 November 2022

यह क्षण

›
इस क्षण में, उस क्षण की बातें क्या करना! इस क्षण ही जीना, इस क्षण ही मरना। पीकर जीवन-गरल, ढ़ल गए वो कल, लूट चले जो सुख चैन, बीत चुके वो पल, ...
12 comments:
Monday, 7 November 2022

क्षणभंगुर

›
ऐ एकाकी मन, पाले क्यूं, उलझन! पलकों में, बूटे उग आए थे, शायद, मेरी ख्वाबों के, वो सरमाए थे! और, नैन तले, छाए काले घन, अंतः, मेघों सा गर्जन, ...
12 comments:
Saturday, 29 October 2022

मैं चाहूँ

›
मैं चाहूँ.... ह्रदय पर तेरे, कोई प्रीत न हो अंकित, कहीं, मेरे सिवा, और, कोई गीत न हो अंकित! बस, सुनती रहो तुम, और मैं गांऊँ! मैं चाहूँ.... न...
8 comments:
Monday, 24 October 2022

अतः शीघ्रता कर

›
रात भर, अंधियारों से लड़कर, जरा सा, थक चला! शीघ्रता कर, इक दीप और जला! ताकि, दीप्त सा वो राह, प्रदीप्त रहे, अंधियारा, संक्षिप्त रहे, मुक्तकं...
3 comments:
‹
›
Home
View web version

About Me

My photo
पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
Berhampore (Murshidabad), West Bengal, India
मैं, एक आम व्यक्ति, बिल्कुल आप जैसा ही। बस लगाव है भावनाओं से, एक जुड़ाव है संवेदनाओं से। महसूस करता हूँ, तो कलम चल पड़ती है और जन्म लेती है, एक नई रचना। मेरी नवीनतम रचनाओं की जानकारी हेतु, आप इस ब्लॉग को फॉलो करें। इसकी सूचना आप मेरे WhatsApp / Contact No. 9507846018 के STATUS पर भी पा सकते हैं।
View my complete profile
Powered by Blogger.