दामन में कुछ भीगे से गुलाब,
कांटों में उलझा बेपरवाह सा मन,
कुछ ऐसा ही है जीवन.....
यूँ अनाहूत ही आ जाना,
बिन कुछ कहे यूँ ही चल देना,
भीगी पलकों से बस यूँ रो लेना,
यूँ एकटक क्षितिज देखना,
मनमाना बेगाना सा ये जीवन,
कुछ ऐसा ही है जीवन.....
बूंदों की भीगी सी लड़ियाँ,
भीगी गुलाब की ये पंखुड़ियाँ,
क्षण-क्षण यूँ खिलती ये कलियाँ,
रंगरूप बदलती ये दुनियाँ,
जाना पहचाना सा ये जीवन,
कुछ ऐसा ही है जीवन.....
यूँ खिल कर हँसते गुलाब,
यूँ हिल कर भीगते बेहिसाब,
फिर टूट बिखरते इनके ख्वाब,
यूँ ही माटी में मिलना,
पाकर खो जाने सा ये जीवन,
कुछ ऐसा ही है जीवन.....
दामन में कुछ भीगे से गुलाब,
कांटों में उलझा बेपरवाह सा मन,
कुछ ऐसा ही है जीवन.....
कांटों में उलझा बेपरवाह सा मन,
कुछ ऐसा ही है जीवन.....
यूँ अनाहूत ही आ जाना,
बिन कुछ कहे यूँ ही चल देना,
भीगी पलकों से बस यूँ रो लेना,
यूँ एकटक क्षितिज देखना,
मनमाना बेगाना सा ये जीवन,
कुछ ऐसा ही है जीवन.....
बूंदों की भीगी सी लड़ियाँ,
भीगी गुलाब की ये पंखुड़ियाँ,
क्षण-क्षण यूँ खिलती ये कलियाँ,
रंगरूप बदलती ये दुनियाँ,
जाना पहचाना सा ये जीवन,
कुछ ऐसा ही है जीवन.....
यूँ खिल कर हँसते गुलाब,
यूँ हिल कर भीगते बेहिसाब,
फिर टूट बिखरते इनके ख्वाब,
यूँ ही माटी में मिलना,
पाकर खो जाने सा ये जीवन,
कुछ ऐसा ही है जीवन.....
दामन में कुछ भीगे से गुलाब,
कांटों में उलझा बेपरवाह सा मन,
कुछ ऐसा ही है जीवन.....