नववर्ष ले आया नवविहन,
जागे हैं फिर नए अरमान,
उपजी है फिर नई आशाएँ,
तू इन आशाओं के संग तो हो ले।
वर्ष नया है प्रारंभ नई है,
दिवस नया है प्रहर नई है,
हर चिन्ताओं को तज पीछे,
तू इक नई उड़ान तो भर ले।
निराशा के घनघोर अंधेरे,
अब रह गए हैं पीछे तेरे,
सामने खड़ा एक नया लक्ष्य है,
तू इन लक्ष्यों के संग तो हो ले।
जागे हैं फिर नए अरमान,
उपजी है फिर नई आशाएँ,
तू इन आशाओं के संग तो हो ले।
वर्ष नया है प्रारंभ नई है,
दिवस नया है प्रहर नई है,
हर चिन्ताओं को तज पीछे,
तू इक नई उड़ान तो भर ले।
निराशा के घनघोर अंधेरे,
अब रह गए हैं पीछे तेरे,
सामने खड़ा एक नया लक्ष्य है,
तू इन लक्ष्यों के संग तो हो ले।
(हमारे समस्त पाठको को नववर्ष 2016 की
असीम प्रेरक शुभकामनाएँ)
No comments:
Post a Comment