Wednesday, 16 December 2015

जीवन एक अहसास

जीवन एक अहसास,
कहीं खुशी से लबरेज लम्हें,
तो कही दुख के अंतहीन पल,
कभी चैन के दो पल,
तो कही विवश करती जरूरतें।

इन्ही विविधताओं के बीच
जीवन जीने की बाध्यता.....!

कुछ भी तो नही है हमारे वश मे,
फिर भी सभी कुछ वश में कर लेने की, 
अंतहीन चाह,
समस्त मानवीय संवेदनाओं पर
दंभ और अभिमान का दंश!

करुणा, विनय, प्यार, अहसास,
ये सभी किताबों में अंकित
मृत अक्षरों से दिखते है.......!

जीवन को जीवंत बनाने का अहसास,
न जाने किधर गुम है
शायद इन सिक्को की झंकार में,
या फिर,
हमारी सामंती मंशाओं के बीच
पिस सी गई है?

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