तिमिर तिरोहित बादलों के,
कलुषित रजनी हुआ तिरोहित,
संग ऊर्जामयी उजालों के।
अनुराग रंजित प्रबल रवि ने,
छेड़ी फिर सप्तसुरी रागिणी,
दूर हुआ अवसाद प्राणों का,
पुलकित हुई रंजित मन यामिनी।
ज्योतिर्मय हुआ ज्योतिहीन जन,
मिला विश्व को जन-लोचन तारा,
अवसाद मिटे हुआ जड़ता विलीन,
मिला मानवता को नव-जीवन धारा।
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