स्पर्श कर गया वो लम्हा, तन्हाईयों में मचलकर!
रूह में उठती रही लहरें,
रूह को कोमल स्पर्श मिला,
तन्हा वो गुजरते रहे, रूह की साहिलों से होकर!
तरन्नुम की बात चली,
शब्दों को इक नया मोड़ मिला
भीगते रहे पाँव उनके, रूह की लहरों में चलकर!
मन में घुलते रहे शब्द वो,
रूह को शब्दों का कंपन मिला,
रूह तक भीगे हैं अब वो, इन लहरों में उलझकर!
रूह भींगती रही हदों तक,
मन कों एहसास-ए-शुकून मिला,
मन चाहता मिल जाएँ वो, तन्हाईयों से निकलकर!
काश! स्पर्श उन लम्हों के, साथ-साथ हों यूँ ही उम्र भर!
रूह में उठती रही लहरें,
रूह को कोमल स्पर्श मिला,
तन्हा वो गुजरते रहे, रूह की साहिलों से होकर!
तरन्नुम की बात चली,
शब्दों को इक नया मोड़ मिला
भीगते रहे पाँव उनके, रूह की लहरों में चलकर!
मन में घुलते रहे शब्द वो,
रूह को शब्दों का कंपन मिला,
रूह तक भीगे हैं अब वो, इन लहरों में उलझकर!
रूह भींगती रही हदों तक,
मन कों एहसास-ए-शुकून मिला,
मन चाहता मिल जाएँ वो, तन्हाईयों से निकलकर!
काश! स्पर्श उन लम्हों के, साथ-साथ हों यूँ ही उम्र भर!
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