Tuesday, 11 June 2019

तनिक उदासी

यूँ हर लम्हा, हर क्षण, हमेशा ही, पास हो तुम!
फिर भी, तनिक उदास हैं हम!

अभी-अभी, तुम्हारा ही एहसास बन,
बह चली थी, इक ठंढ़ी सी पवन,
छूकर गए थे, हौले से तुम,
सिहरन, फिर वही, देकर गए थे तुम,
अब जो रुकी है वो पवन,
कहीं दूर हो चली है, तेरी छुअन!

यूँ हर लम्हा, हर क्षण, हमेशा ही, पास हो तुम!
फिर भी, तनिक उदास हैं हम!

अभी-अभी, निस्तब्ध कर गए थे तुम,
मूर्त तन्हाईयों में, हो गए थे तुम,
अस्तब्ध हो चला था मन,
उत्तब्ध थे वो लम्हे, स्तब्ध थी पवन,
शब्द ही ले उड़े थे तुम,
कुछ, कह भी तो ना सके थे हम!

यूँ हर लम्हा, हर क्षण, हमेशा ही, पास हो तुम!
फिर भी, तनिक उदास हैं हम!

वो चाँद है, या जैसे अक्श है तुम्हारा,
है चाँदनी, या जैसे तुमने पुकारा,
अपलक, ताकते हैं हम,
नर्म छाँव में, तुम्हें ही झांकते हैं हम,
तुम्हे ढूंढते हैं बादलों में,
तिमिर राह में, जब होते हैं हम!

यूँ हर लम्हा, हर क्षण, हमेशा ही, पास हो तुम!
फिर भी, तनिक उदास हैं हम!

- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा

3 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (12-06-2019) को "इंसानियत का रंग " (चर्चा अंक- 3364) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. सर, तनिक शब्द का जो महत्व आपने इस कविता के माध्यम से आपने दर्शाया है वह अच्छा लगा । यहि तलाश थी ।

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