शतदल हजार छू के, टोक गए झौंके!
हुए बेजार, टूटे तार-तार!
टीस सी उठी, असह्य सी चोट लगी,
सर्द कोई, इक तीर सी चली,
मन ही, चीर चली,
गुजरे, वो जिधर हो के...
शतदल हजार छू के, टोक गए झौंके!
बार-बार, फिर वो बयार!
हिल उठी, जमीं, नींव ही ढ़ह चुकी,
खड़ी थी, वो वृक्ष भी गिरी,
बिखरे थे, पात-पात,
गुजरे, वो जिधर हो के...
शतदल हजार छू के, टोक गए झौंके!
टोके ना कोई, यूँ बेकार!
अपना ले, यूँ सपने तोड़े न हजार,
चोट यही, मन की न भली,
सूखी है, हर कली,
गुजरे, वो जिधर हो के...
शतदल हजार छू के, टोक गए झौंके!
- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
हुए बेजार, टूटे तार-तार!
टीस सी उठी, असह्य सी चोट लगी,
सर्द कोई, इक तीर सी चली,
मन ही, चीर चली,
गुजरे, वो जिधर हो के...
शतदल हजार छू के, टोक गए झौंके!
बार-बार, फिर वो बयार!
हिल उठी, जमीं, नींव ही ढ़ह चुकी,
खड़ी थी, वो वृक्ष भी गिरी,
बिखरे थे, पात-पात,
गुजरे, वो जिधर हो के...
शतदल हजार छू के, टोक गए झौंके!
टोके ना कोई, यूँ बेकार!
अपना ले, यूँ सपने तोड़े न हजार,
चोट यही, मन की न भली,
सूखी है, हर कली,
गुजरे, वो जिधर हो के...
शतदल हजार छू के, टोक गए झौंके!
- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
बहुत खूबसूरत रचना
ReplyDeleteआदरणीया भारती जी, सराहना हेतु साधुवाद।
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार(१२-०१-२०२०) को "हर खुशी तेरे नाम करते हैं" (चर्चा अंक -३५७८) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
**
अनीता सैनी
आभार आदरणीया अनीता जी ।
Deleteबहुत सुंदर रचना आदरणीय
ReplyDeleteआदरणीया अनुराधा जी, प्रेरक शब्दों हेतु आभारी हूँ। बहुत-बहुत धन्यवाद ।
Deleteसुंदर रचना
ReplyDeleteआभार आदरणीय ओंकार जी।
Deleteवाह!!पुरुषोत्तम जी ,बहुत खूब!!👍
ReplyDeleteआदरणीया शुभा जी, आपकी सराहना हेतु हृदयतल से आभारी हूँ ।
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
१३ जनवरी २०२० के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
आभार आदरणीया ।
Deleteसुंदर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteआदरणीया सुजाता प्रिये जी, शुक्रिया आभार।
Deleteबहुत खूब।
ReplyDeleteआदरणीय जोशी जी, आभार अभिनन्दन । बहुत-बहुत धन्यवाद ।
Deleteमार्मिकता से ओतप्रोत .. अपनों से चोटिल .. संवेदनशील अभिव्यक्ति ...
ReplyDeleteइतनी सुन्दर प्रतिक्रिया के लिए आभारी हूँ आदरणीय सुबोध जी।
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