Friday, 21 February 2020

हे शिव!

हे शिव!

अर्पित है, दुविधा मेरी,
समर्पित, मन की शंका मेरी,
बस खुलवा दे, मेरे भ्रम की गठरी,
उलझन, सुलझ जाए थोड़ी,
जोड़ लूँ, मैं ये अँजुरी!

हे शिव!

क्या, सचमुच भगवान,
मांगते हैं, दूध-दही पकवान,
होने को प्रसन्न, चाहते हैं द्रव्य-दान,
लेते हैं, जीवों का बलिदान,
हूँ भ्रमित, मैं अन्जान!

हे शिव!

भीतर, पूजते वो पत्थर,
बाहर, रौंदते जो मानव स्वर,
निकलूं कैसे, मैं इस भ्रम से बाहर,
पूजा की, उन सीढ़ियों पर,
क्यूँ विलखते हैं ईश्वर?

हे शिव!

जीवन ये, स्वार्थ-प्रवण,
मानव ही, मानव के दुश्मन,
शायद, हतप्रभ चुप हैं यूँ भगवन,
घनेरे कितने, स्वार्थ के वन,
भटक रहा, मानव मन!

हे शिव!

पाप-पुण्य, सी दुनियाँ,
ये, सत्य-असत्य की गलियाँ,
धर्म-अधर्म की, तैरती कश्तियाँ,
बहती, नफरत की आँधियां,
भ्रम, हवाओं में यहाँ!

हे शिव!

अर्पित है, दुविधा मेरी,
समर्पित, मन की शंका मेरी,
बस खुलवा दे, मेरे भ्रम की गठरी,
उलझन, सुलझ जाए थोड़ी,
जोड़ लूँ, मैं ये अँजुरी!

हे शिव!

- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा 
  (सर्वाधिकार सुरक्षित)

23 comments:

  1. वाह! बहुत सुंदर शिव आराधना। महाशिवरात्रि की शुभकामनाएं। शिव मंगल करें।

    ReplyDelete
  2. बहुत सुंदर प्रस्तुति, महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं

    ReplyDelete
    Replies
    1. महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं

      Delete
  3. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार(२२-०२-२०२०) को 'शिव शंभु' (चर्चा अंक-३६१९) पर भी होगी।
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ….
    अनीता सैनी

    ReplyDelete
    Replies
    1. महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं

      Delete
  4. पाप-पुण्य, सी दुनियाँ,
    ये, सत्य-असत्य की गलियाँ,
    धर्म-अधर्म की, तैरती कश्तियाँ,
    बहती, नफरत की आँधियां,
    भ्रम, हवाओं में यहाँ!
    वाह ! वाह पुरुषोत्तम जी | मन की असीम श्रद्धा और कलम की प्रखरता दोनों के मेल ने भोलेनाथ की अभ्यर्थना में चार चाँद लगा दिए | रचना में पिरोये भाव फलीभूत हों यही कामना है |महाशिवरात्री की आपको ढेरों शुभकामनाएं और बधाई |सादर -

    ReplyDelete
    Replies
    1. महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं

      Delete
  5. मन को शाँति प्रदान करता भक्तिभाव उत्पन्न करता सुंदर सृजन। महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं

      Delete
  6. Replies
    1. महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं

      Delete
  7. अर्पित है, दुविधा मेरी,
    समर्पित, मन की शंका मेरी,
    बस खुलवा दे, मेरे भ्रम की गठरी..

    जब भी किसी सच्चे भक्त का हृदय ऐसे आडंबरों को देख चीत्कार करता है और भावनाएँ शब्द बन जाती हैं, तभी ऐसा सृजन संभव हो पाता है।
    सादर प्रणाम अग्रज।

    ReplyDelete
    Replies
    1. महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं। प्रणाम गुणीजन ।

      Delete
  8. Replies
    1. महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं।

      Delete
  9. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 22 फरवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    ReplyDelete
    Replies
    1. महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं।

      Delete
  10. क्या, सचमुच भगवान,
    मांगते हैं, दूध-दही पकवान,
    होने को प्रसन्न, चाहते हैं द्रव्य-दान,
    लेते हैं, जीवों का बलिदान,
    हूँ भ्रमित, मैं अन्जान!

    भर्मित मन की उलझन को बेहद भावपूर्ण रचा हैं आपने ,शिव से पूछने की जरूरत ही नहीं खुद के आत्मा से पूछे सारे जबाब यकीनन मिल जाएंगे
    सादर नमन

    ReplyDelete
  11. आदरणीय सर सादर प्रणाम 🙏
    बड़े भाव और श्रद्धा से रची ये रचना और इसमें निहित सुंदर प्रर्थना निश्चिंत ही भोले बाबा तक पहुँच गये होंगे। बस कामना है कि मनोकामना पूर्ण हो। रचना के माध्यम से जो संदेश आपने दिया वो भी विचारणीय है।

    ReplyDelete
  12. क्या, सचमुच भगवान,
    मांगते हैं, दूध-दही पकवान,
    होने को प्रसन्न, चाहते हैं द्रव्य-दान,
    लेते हैं, जीवों का बलिदान,
    हूँ भ्रमित, मैं अन्जान!
    बहुत ही सुन्दर लाजवाब विचारोत्तेजक सृजन
    वाह!!!

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपकी प्रेरक प्रतिक्रिया हेतू हार्दिक आभार आदरणीया सुधा देवरानी जी

      Delete