रुक नही सकता, सहिष्णुता के नाम पर,
रक्त है तो, उबल भी सकता है ये!
ओढ़ कर चादर, हमनें झेले हैं खंजर,
समृद्ध संस्कृति और विरासत पर,
फेर लूँ, मैं कैसे नजर!
बर्बर, कातिल निगाहें देखकर!
विलखता विरासत छोड़कर!
रक्त है, मेरे भी नसों में,
उबल जाता है ये!
रुक नही सकता, सहिष्णुता के नाम पर!
खोखली, धर्म-निरपेक्षता के नाम पर,
वे हँसते रहे, राम के ही नाम पर,
पी लूँ, कैसे वो जहर!
सह जाऊँ कैसे, उनके कहर,
राम की, इस संस्कृति पर!
रक्त है, मेरे भी नसों में,
उबल जाता है ये!
रुक नही सकता, सहिष्णुता के नाम पर!
गढ़ो ना यूँ, असहिष्णुता की परिभाषा,
ना भरो धर्मनिरपेक्षता में निराशा,
जागने दो, एक आशा,
न आँच आने दो, सम्मान पर,
संस्कृति के, अभिमान पर,
रक्त है, मेरे भी नसों में,
उबल जाता है ये!
रुक नही सकता, सहिष्णुता के नाम पर,
रक्त है तो, उबल भी सकता है ये!
- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
रक्त है तो, उबल भी सकता है ये!
ओढ़ कर चादर, हमनें झेले हैं खंजर,
समृद्ध संस्कृति और विरासत पर,
फेर लूँ, मैं कैसे नजर!
बर्बर, कातिल निगाहें देखकर!
विलखता विरासत छोड़कर!
रक्त है, मेरे भी नसों में,
उबल जाता है ये!
रुक नही सकता, सहिष्णुता के नाम पर!
खोखली, धर्म-निरपेक्षता के नाम पर,
वे हँसते रहे, राम के ही नाम पर,
पी लूँ, कैसे वो जहर!
सह जाऊँ कैसे, उनके कहर,
राम की, इस संस्कृति पर!
रक्त है, मेरे भी नसों में,
उबल जाता है ये!
रुक नही सकता, सहिष्णुता के नाम पर!
गढ़ो ना यूँ, असहिष्णुता की परिभाषा,
ना भरो धर्मनिरपेक्षता में निराशा,
जागने दो, एक आशा,
न आँच आने दो, सम्मान पर,
संस्कृति के, अभिमान पर,
रक्त है, मेरे भी नसों में,
उबल जाता है ये!
रुक नही सकता, सहिष्णुता के नाम पर,
रक्त है तो, उबल भी सकता है ये!
- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
सुन्दर सृजन।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय जोशी जी। ऐसे ही उत्साहवर्धन करते रहें।
Deleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 20.8.2020 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी|
ReplyDeleteधन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क
सादर आभार
Deleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 20 अगस्त 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया दी
Deleteसुन्दर रचना।
ReplyDeleteआपकी प्रतिक्रिया हमारे लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। कृपया प्रोत्साहित करते रहें..आदरणीय।
Deleteबहुत-बहुत धन्यवाद।
पढ़ कर बहुत अच्छा लगा.
ReplyDeleteदो टूक. किन्तु शिष्टता से व्यक्त भावना.
धन्यवाद, सिंहाजी.
आपकी प्रतिक्रिया हेतु आभारी हूँ आदरणीया नुपुर जी। जिस तरह से आपने सराहना की है,नतमस्तक हूँ मैं। बहुत-बहुत धन्यवाद।
Deleteसुंदर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteआदरणीया ज्योति जी, आपकी प्रतिक्रिया हमारे लिए महत्वपूर्ण है। कृपया प्रोत्साहित करते रहें।
Deleteबहुत-बहुत धन्यवाद।