वो, सर्दियों में, गुनगुनी सी धूप जैसे,
पिघलती सांझ सी, रूप वो!
ठगा सा मैं रहूं, ताकूं, उसे ही निहारूं,
ओढ़ लूं, रुपहली धूप वो ही,
जी भर, देख लूं,
पल-पल, बदलता, इक रूप वो ही,
हो चला, उसी का मैं प्रशंसक,
कह भी दूं, मैं कैसे!
वो, सर्दियों में, गुनगुनी सी धूप जैसे,
पिघलती सांझ सी, रूप वो!
समेट लूं, नैनों में, उसी की इक छटा,
उमर आई, है कैसी ये घटा!
मन में, उतार लूं,
उधार लूं, उस रुप की इक कल्पना,
अद्भुत श्रृंगार का, मैं प्रशंसक,
कह भी दूं, मैं कैसे!
वो, सर्दियों में, गुनगुनी सी धूप जैसे,
पिघलती सांझ सी, रूप वो!
बांध पाऊं, तो उसे, शब्दों में बांध लूं,
लफ़्ज़ों में, उसको पिरो लूं,
प्रकल्प, साकार लूं,
उस क्षितिज पर बिखरता, रंग वो,
उसी तस्वीर का, मैं प्रशंसक,
कह भी दूं, मैं कैसे!
वो, सर्दियों में, गुनगुनी सी धूप जैसे,
पिघलती सांझ सी, रूप वो!
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
बांध पाऊं, तो उसे, शब्दों में बांध लूं,
ReplyDeleteलफ़्ज़ों में, उसको पिरो लूं,
प्रकल्प, साकार लूं,
उस क्षितिज पर बिखरता, रंग वो,
उसी तस्वीर का, मैं प्रशंसक,
कह भी दूं, मैं कैसे.... बहुत सुंदर
हार्दिक आभार ....
Deleteठगा सा मैं रहूं, ताकूं, उसे ही निहारूं,
ReplyDeleteओढ़ लूं, रुपहली धूप वो ही,
जी भर, देख लूं,
पल-पल, बदलता, इक रूप वो ही,
हो चला, उसी का मैं प्रशंसक,
कह भी दूं, मैं कैसे! लाजबाव सृजन
हार्दिक आभार ....
Deleteनमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (13-12-2021 ) को 'आग सेंकता सरजू दादा, दिन में छाया अँधियारा' (चर्चा अंक 4277 )' पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
हार्दिक आभार ....
Deleteसमेट लूं, नैनों में, उसी की इक छटा,
ReplyDeleteउमर आई, है कैसी ये घटा!
मन में, उतार लूं,
उधार लूं, उस रुप की इक कल्पना,
अद्भुत श्रृंगार का, मैं प्रशंसक,
कह भी दूं, मैं कैसे!... वाह!बहुत सुंदर सृजन सर।
सराहनीय।
सादर
हार्दिक आभार ....
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ReplyDeleteBaccarat - Your chance to win and win by playing. 온라인 카지노 추천 There is a reason that you 메리트 카지노 쇼미더벳 can earn 바카라 룰 rewards for your favorite games, such 인터넷 카지노 사이트 as prizes or 우리 카지노 cash,