Saturday, 21 October 2023

छूटते लम्हे

प्यार यूं तो, बहुत है इस ज़िन्दगी से,
पर ये लम्हे, हैं कम कितने!

लरी खुशियों की, यूं ही, हम बुनते,
कली ये सारे, यूं ही हम चुनते,
क्या करें!
यूं तो, गम भी हैं कितने!

प्यार यूं तो.....

जल उठे, यूं दिये बंद एहसासों के,
धुवें कितने, यूं गर्म सांसों के,
क्या करें!
नमीं आंखों में, हैं कितने!

प्यार यूं तो.....

यूं कहें किससे, ये किस्से अनकहे,
यूं जलजले से उठते ही रहे,
क्या करें!
गुम से साहिल हैं कितने!

प्यार यूं तो, बहुत है इस ज़िन्दगी से,
पर ये लम्हे, हैं कम कितने!

- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा 
   (सर्वाधिकार सुरक्षित)

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