बहुत याद आए, तुम, इन दिनों!
गुम गीत सारे, इन दिनों ...
सूखे से, पात सारे,
सहमे से, जज्बात सारे,
जलते ये, दिन,
बुझे से ये रात, इन दिनों ....
बहुत याद आए, तुम, इन दिनों!
बरस रहे, दो नैन,
मौन, तरस रहे दिन-रैन,
न कोई, बादल,
भीगे हैं आंचल, इन दिनों ....
बहुत याद आए, तुम, इन दिनों!
हर ओर, बिंब तेरी,
हर तरफ, प्रतिबिंब तेरी,
फैलाती, वो बांहें,
पुकारती हैं राहें, इन दिनों ....
बहुत याद आए, तुम, इन दिनों!
बीता, वो पल कहां!
ठहरते, इक क्षण कहां!
तैरते, वो निशां,
टूटे वो बुलबुले, इन दिनों ....
बहुत याद आए, तुम, इन दिनों!
गुम गीत सारे, इन दिनों ...
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द सोमवार 14 अक्बटूर 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
ReplyDeleteसुन्दर
ReplyDeleteवाह! पुरुषोत्तम जी ,बहुत खूबसूरत सृजन!
ReplyDeleteबहुत खूब।
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