कविता "जीवन कलश"

जीवन के अनुभवों पर, मेरे मन के उद्घोषित शब्दों की अभिव्यक्ति है - कविता "जीवन कलश"। यूं, जीवन की राहों में, हर पल छूटता जाता है, इक-इक लम्हा। वो फिर न मिलते हैं, कहीं दोबारा ! कभी वो ही, अपना बनाकर, विस्मित कर जाते हैं! चुनता रहता हूँ मैं, उन लम्हों को और संजो रखता हूँ यहाँ! वही लम्हा, फिर कभी सुकून संग जीने को मन करता है, तो ये, अलग ही रंग भर देती हैं, जीवन में। "वैसे, हाथों से बिखरे पल, वापस कब आते हैं! " आइए, महसूस कीजिए, आपकी ही जीवन से जुड़े, कुछ गुजरे हुए पहलुओं को। (सर्वाधिकार सुरक्षित)

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Monday, 14 November 2016

कशिश

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कुछ तो है कशिश बातों मे तेरी, जो खींच लाई है मुझे... घूँघरुओं की मानिंद लगते हैं शब्द तेरे, दूर मंदिर में जैसे कोई कर रहा हो स्वर वंदन, ...
Tuesday, 5 January 2016

यादों के साए

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रथ किरण संग याद तुम्हारी, मन को विस्मृत कर जाती हर प्रात, जाने क्या-क्या कहती रहती, किन बातों में है उलझी रहती, सपने नए कई बुन ज...
Sunday, 27 December 2015

प्यार इक कशिश

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प्यार ! जो पूरा न हो,  तू  उन्हीं ख्वाइशों में से है एक! प्यार! तू है इक कशिश, कोशिशों के बावजूद भी  जो रह जाती हो अधूरी ..!  त...
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पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
Berhampore (Murshidabad), West Bengal, India
मैं, एक आम व्यक्ति, बिल्कुल आप जैसा ही। बस लगाव है भावनाओं से, एक जुड़ाव है संवेदनाओं से। महसूस करता हूँ, तो कलम चल पड़ती है और जन्म लेती है, एक नई रचना। मेरी नवीनतम रचनाओं की जानकारी हेतु, आप इस ब्लॉग को फॉलो करें। इसकी सूचना आप मेरे WhatsApp / Contact No. 9507846018 के STATUS पर भी पा सकते हैं।
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