कविता "जीवन कलश"

जीवन के अनुभवों पर, मेरे मन के उद्घोषित शब्दों की अभिव्यक्ति है - कविता "जीवन कलश"। यूं, जीवन की राहों में, हर पल छूटता जाता है, इक-इक लम्हा। वो फिर न मिलते हैं, कहीं दोबारा ! कभी वो ही, अपना बनाकर, विस्मित कर जाते हैं! चुनता रहता हूँ मैं, उन लम्हों को और संजो रखता हूँ यहाँ! वही लम्हा, फिर कभी सुकून संग जीने को मन करता है, तो ये, अलग ही रंग भर देती हैं, जीवन में। "वैसे, हाथों से बिखरे पल, वापस कब आते हैं! " आइए, महसूस कीजिए, आपकी ही जीवन से जुड़े, कुछ गुजरे हुए पहलुओं को। (सर्वाधिकार सुरक्षित)

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Saturday, 11 September 2021

टीस

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आसान कहाँ, भावों को अभिव्यक्ति देना... यूँ, मूक मनोभावों को, सुन लेना! अर्थहीन सभी लगते, यूँ, चेहरे सारे, टिमटिम से, नैनों के दो तारे, अपलक,...
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Wednesday, 17 February 2021

कैसा भँवर

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जाने क्यूँ? बह पड़े हैं, सारे भाव! अन्तः, जाने कैसा है भँवर! पीड़ असहज, दे रहे हृदय के घाव! ज्यूँ फूट पड़े हैं छाले! पर, अब तक, बड़ा सहज था ...
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Monday, 27 April 2020

हर बार - (1200वाँ पोस्ट)

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बाकी, रह जाती हैं, कितनी ही वजहें, कितने ही सफहे, कुछ, लिखने को हर बार! कभी, चुन कर, मन के भावों को, कभी, सह कर, दर्द से टीस...
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पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
Chennai, Tamilnadu, India
मैं, एक आम व्यक्ति, बिल्कुल आप जैसा ही। बस लगाव है भावनाओं से, एक जुड़ाव है संवेदनाओं से। महसूस करता हूँ, तो कलम चल पड़ती है और जन्म लेती है, एक नई रचना। मेरी नवीनतम रचनाओं की जानकारी हेतु, आप इस ब्लॉग को फॉलो करें। इसकी सूचना आप मेरे WhatsApp / Contact No. 9507846018 के STATUS पर भी पा सकते हैं।
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