कविता "जीवन कलश"

जीवन के अनुभवों पर, मेरे मन के उद्घोषित शब्दों की अभिव्यक्ति है - कविता "जीवन कलश"। यूं, जीवन की राहों में, हर पल छूटता जाता है, इक-इक लम्हा। वो फिर न मिलते हैं, कहीं दोबारा ! कभी वो ही, अपना बनाकर, विस्मित कर जाते हैं! चुनता रहता हूँ मैं, उन लम्हों को और संजो रखता हूँ यहाँ! वही लम्हा, फिर कभी सुकून संग जीने को मन करता है, तो ये, अलग ही रंग भर देती हैं, जीवन में। "वैसे, हाथों से बिखरे पल, वापस कब आते हैं! " आइए, महसूस कीजिए, आपकी ही जीवन से जुड़े, कुछ गुजरे हुए पहलुओं को। (सर्वाधिकार सुरक्षित)

Showing posts with label घुटन. Show all posts
Showing posts with label घुटन. Show all posts
Thursday, 28 February 2019

चल कहीं और

›
तलाश-ए-सुखन, ऐ दिल, चल कहीं और! हवाओं में घुली, ये कैसी है घुटन, फिज़ाओं में कैसी, घुल रही है चुभन, ये जुनून, ये चीखें, ये मातम, करा...
14 comments:
Monday, 7 March 2016

वो करती क्या? गर साँवला रंग न मेरा होता!

›
रंग साँवला मेरा, है प्यारा उनको, वो करती क्या? गर साँवला रंग न मेरा होता......! शायद!.....शायद क्या? सही में..... पल पल वो तिल तिल मरत...
Saturday, 6 February 2016

दहलीज में बिटिया

›
घुटन कैसी इस दहलीज के अन्दर, चेहरे की सुन्दरता कुचल दी गई हो जैसे, मासूमियत उसकी मसली गई है शायद, नजर अंदाज कर दिए गए हैं गुण सारे। ...
›
Home
View web version

About Me

My photo
पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
Berhampore (Murshidabad), West Bengal, India
मैं, एक आम व्यक्ति, बिल्कुल आप जैसा ही। बस लगाव है भावनाओं से, एक जुड़ाव है संवेदनाओं से। महसूस करता हूँ, तो कलम चल पड़ती है और जन्म लेती है, एक नई रचना। मेरी नवीनतम रचनाओं की जानकारी हेतु, आप इस ब्लॉग को फॉलो करें। इसकी सूचना आप मेरे WhatsApp / Contact No. 9507846018 के STATUS पर भी पा सकते हैं।
View my complete profile
Powered by Blogger.