कविता "जीवन कलश"

जीवन के अनुभवों पर, मेरे मन के उद्घोषित शब्दों की अभिव्यक्ति है - कविता "जीवन कलश"। यूं, जीवन की राहों में, हर पल छूटता जाता है, इक-इक लम्हा। वो फिर न मिलते हैं, कहीं दोबारा ! कभी वो ही, अपना बनाकर, विस्मित कर जाते हैं! चुनता रहता हूँ मैं, उन लम्हों को और संजो रखता हूँ यहाँ! वही लम्हा, फिर कभी सुकून संग जीने को मन करता है, तो ये, अलग ही रंग भर देती हैं, जीवन में। "वैसे, हाथों से बिखरे पल, वापस कब आते हैं! " आइए, महसूस कीजिए, आपकी ही जीवन से जुड़े, कुछ गुजरे हुए पहलुओं को। (सर्वाधिकार सुरक्षित)

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Saturday, 27 May 2017

कोरी सी कल्पना

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शायद महज कोरी सी कल्पना  या है ये इक दिवास्वप्न! कविताओं में मैने उसको हरपल विस्तार दिया, मन की भावों से इक रूप साकार किया, हृदय की त...
Wednesday, 19 April 2017

हमेशा की तरह

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हकीकत है ये कोई या है ये दिवास्वप्न, हमेशा की तरह! हमेशा की तरह, है किसी दिवास्वप्न सा उभरता, ख्यालों मे फिर वही, नूर सा इक रुमानी चेह...
Tuesday, 1 November 2016

प्रेम कल्पना

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इक दिवा स्वप्न में ढ़लकर, संग मेरे तुम चल रहे .... कल्पना की चादर मे सिमटी, तुम जीवन में ढ़ल रहे .... अब गीत विरह के गाने को, कोई पल ...
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पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
Berhampore (Murshidabad), West Bengal, India
मैं, एक आम व्यक्ति, बिल्कुल आप जैसा ही। बस लगाव है भावनाओं से, एक जुड़ाव है संवेदनाओं से। महसूस करता हूँ, तो कलम चल पड़ती है और जन्म लेती है, एक नई रचना। मेरी नवीनतम रचनाओं की जानकारी हेतु, आप इस ब्लॉग को फॉलो करें। इसकी सूचना आप मेरे WhatsApp / Contact No. 9507846018 के STATUS पर भी पा सकते हैं।
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