कविता "जीवन कलश"

जीवन के अनुभवों पर, मेरे मन के उद्घोषित शब्दों की अभिव्यक्ति है - कविता "जीवन कलश"। यूं, जीवन की राहों में, हर पल छूटता जाता है, इक-इक लम्हा। वो फिर न मिलते हैं, कहीं दोबारा ! कभी वो ही, अपना बनाकर, विस्मित कर जाते हैं! चुनता रहता हूँ मैं, उन लम्हों को और संजो रखता हूँ यहाँ! वही लम्हा, फिर कभी सुकून संग जीने को मन करता है, तो ये, अलग ही रंग भर देती हैं, जीवन में। "वैसे, हाथों से बिखरे पल, वापस कब आते हैं! " आइए, महसूस कीजिए, आपकी ही जीवन से जुड़े, कुछ गुजरे हुए पहलुओं को। (सर्वाधिकार सुरक्षित)

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Monday, 7 June 2021

वो कौन था

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वो, जाने कौन था, बड़ा ही मौन था! पर, वो आँखें, कुछ बोलती थी! शायद दूर था, उसकी आशाओं का घर! बांध रखी थी, उम्मीदों की गठरियाँ, और, ये सफर, का...
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Sunday, 10 February 2019

छद्म-एहसास

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छद्म-एहसास या इक विश्वास, फिर कितने पास, ले आया है नीलाभ-नभ! सीमा-विहीन शून्यता, अंतहीन आकाश, नीलाभ सा, वो रिक्त आभास, यहीं-कहीं तुम...
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Wednesday, 9 January 2019

छद्मविभोर

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हर सांझ, मैं किरणों के तट पर, लिख लेता हूँ, थोड़ा-थोड़ा सा तुझको..... कहीं तुम्हारे होने का, छद्म विभोर कराता एहसास, और ये दूरी का, ...
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पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
Chennai, Tamilnadu, India
मैं, एक आम व्यक्ति, बिल्कुल आप जैसा ही। बस लगाव है भावनाओं से, एक जुड़ाव है संवेदनाओं से। महसूस करता हूँ, तो कलम चल पड़ती है और जन्म लेती है, एक नई रचना। मेरी नवीनतम रचनाओं की जानकारी हेतु, आप इस ब्लॉग को फॉलो करें। इसकी सूचना आप मेरे WhatsApp / Contact No. 9507846018 के STATUS पर भी पा सकते हैं।
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