कविता "जीवन कलश"

जीवन के अनुभवों पर, मेरे मन के उद्घोषित शब्दों की अभिव्यक्ति है - कविता "जीवन कलश"। यूं, जीवन की राहों में, हर पल छूटता जाता है, इक-इक लम्हा। वो फिर न मिलते हैं, कहीं दोबारा ! कभी वो ही, अपना बनाकर, विस्मित कर जाते हैं! चुनता रहता हूँ मैं, उन लम्हों को और संजो रखता हूँ यहाँ! वही लम्हा, फिर कभी सुकून संग जीने को मन करता है, तो ये, अलग ही रंग भर देती हैं, जीवन में। "वैसे, हाथों से बिखरे पल, वापस कब आते हैं! " आइए, महसूस कीजिए, आपकी ही जीवन से जुड़े, कुछ गुजरे हुए पहलुओं को। (सर्वाधिकार सुरक्षित)

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Wednesday, 31 October 2018

स्वप्न

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रातों के एकाकी क्षण में, अतृप्त आवेगों से सुलगते वन में, जगता है रोज ही कोई स्वप्न, जगती है कोई तृष्णा, जग जाता है इक अतृप्त जीवन, ...
Sunday, 27 March 2016

अनहद नाद से अंजान जीवन

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उलझी जटाओं में जकड़ा गंगा सा मन, शिवत्व को तज गंगोत्री की भ्रमन कर रहा तन, अनंत लक्ष्य की तलाश में परेशान जीवन, सुखद वर्तमान की अनहद नाद...
Tuesday, 29 December 2015

मिटती नहीं मन की क्युँ प्यास?

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मिटती नही मन की क्युँ प्यास ! जैसे जीवन में गायन हो कम, गायन में हों स्वर का अधूरापन, स्वर में हो कंपन का विचलन, कंपन में हो सा...
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पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
Chennai, Tamilnadu, India
मैं, एक आम व्यक्ति, बिल्कुल आप जैसा ही। बस लगाव है भावनाओं से, एक जुड़ाव है संवेदनाओं से। महसूस करता हूँ, तो कलम चल पड़ती है और जन्म लेती है, एक नई रचना। मेरी नवीनतम रचनाओं की जानकारी हेतु, आप इस ब्लॉग को फॉलो करें। इसकी सूचना आप मेरे WhatsApp / Contact No. 9507846018 के STATUS पर भी पा सकते हैं।
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