कविता "जीवन कलश"

जीवन के अनुभवों पर, मेरे मन के उद्घोषित शब्दों की अभिव्यक्ति है - कविता "जीवन कलश"। यूं, जीवन की राहों में, हर पल छूटता जाता है, इक-इक लम्हा। वो फिर न मिलते हैं, कहीं दोबारा ! कभी वो ही, अपना बनाकर, विस्मित कर जाते हैं! चुनता रहता हूँ मैं, उन लम्हों को और संजो रखता हूँ यहाँ! वही लम्हा, फिर कभी सुकून संग जीने को मन करता है, तो ये, अलग ही रंग भर देती हैं, जीवन में। "वैसे, हाथों से बिखरे पल, वापस कब आते हैं! " आइए, महसूस कीजिए, आपकी ही जीवन से जुड़े, कुछ गुजरे हुए पहलुओं को। (सर्वाधिकार सुरक्षित)

Showing posts with label मेंहदी. Show all posts
Showing posts with label मेंहदी. Show all posts
Sunday, 7 August 2022

कोरी कल्पना

›
रहना हो, तो ‌‌‌‌‌‌‌रह जाना, मेरी स्वप्निल कल्पनाओं के, उन्मुक्त आकाश में, और, रोज मिलना! चल देते हो, तुम, ऐसे, जैसे, दिन ढ़ले, ढ़ल जाते हैं ...
5 comments:
Sunday, 14 May 2017

पति की नजर से इक माँ

›
इक झलक पति की नजर से पत्नी में समाई "माँ"...... कहता है ये मन, स्नेहिल सी माँ है वो बस इक प्रेयसी नहीं, है इक कोरी सी कल्पना...
Tuesday, 2 August 2016

मेहदी लगे हाथ

›
अंकुरा है फिर स्नेह, आज मेंहदी लगी उन हाथों में.... खुश हो रहा मन..... उपजी है नेह की फसल मेंहदी संग उनकी यादों में, मलय के झौंकों मे...
›
Home
View web version

About Me

My photo
पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
Berhampore (Murshidabad), West Bengal, India
मैं, एक आम व्यक्ति, बिल्कुल आप जैसा ही। बस लगाव है भावनाओं से, एक जुड़ाव है संवेदनाओं से। महसूस करता हूँ, तो कलम चल पड़ती है और जन्म लेती है, एक नई रचना। मेरी नवीनतम रचनाओं की जानकारी हेतु, आप इस ब्लॉग को फॉलो करें। इसकी सूचना आप मेरे WhatsApp / Contact No. 9507846018 के STATUS पर भी पा सकते हैं।
View my complete profile
Powered by Blogger.