कविता "जीवन कलश"

जीवन के अनुभवों पर, मेरे मन के उद्घोषित शब्दों की अभिव्यक्ति है - कविता "जीवन कलश"। यूं, जीवन की राहों में, हर पल छूटता जाता है, इक-इक लम्हा। वो फिर न मिलते हैं, कहीं दोबारा ! कभी वो ही, अपना बनाकर, विस्मित कर जाते हैं! चुनता रहता हूँ मैं, उन लम्हों को और संजो रखता हूँ यहाँ! वही लम्हा, फिर कभी सुकून संग जीने को मन करता है, तो ये, अलग ही रंग भर देती हैं, जीवन में। "वैसे, हाथों से बिखरे पल, वापस कब आते हैं! " आइए, महसूस कीजिए, आपकी ही जीवन से जुड़े, कुछ गुजरे हुए पहलुओं को। (सर्वाधिकार सुरक्षित)

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Saturday, 10 February 2024

सरसों

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सुस्मित सरसों, मधुमित-मुखरित सरसों! मोहक लागे, मोहे वो बंधन, वो धागे, पीत, आंचल संग, बांध गई, बरसों पहले,  जो सरसों! सुस्मित सरसों, मधुमित-म...
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Sunday, 9 December 2018

मोहक दर्पण

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छवि अपनी, मैं तकता हूँ जिसमें हरदम, मोहक है मुझको, वो ही दर्पण.... प्रतिकृति दिखलाता है वो मेरी, बेशक कुछ कमियाँ गिनवाता है वो मेरी, ...
Wednesday, 27 April 2016

वो बेपरवाह

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वो बेपरवाह, सासों की लय जुड़ी है जिन संग, गुजरती है उनकी यादें, हर पल आती जाती इन सासों के संग। वो बेपरवाह, बस छूकर निकल जाते है वो, ...
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पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
Chennai, Tamilnadu, India
मैं, एक आम व्यक्ति, बिल्कुल आप जैसा ही। बस लगाव है भावनाओं से, एक जुड़ाव है संवेदनाओं से। महसूस करता हूँ, तो कलम चल पड़ती है और जन्म लेती है, एक नई रचना। मेरी नवीनतम रचनाओं की जानकारी हेतु, आप इस ब्लॉग को फॉलो करें। इसकी सूचना आप मेरे WhatsApp / Contact No. 9507846018 के STATUS पर भी पा सकते हैं।
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