कविता "जीवन कलश"

जीवन के अनुभवों पर, मेरे मन के उद्घोषित शब्दों की अभिव्यक्ति है - कविता "जीवन कलश"। यूं, जीवन की राहों में, हर पल छूटता जाता है, इक-इक लम्हा। वो फिर न मिलते हैं, कहीं दोबारा ! कभी वो ही, अपना बनाकर, विस्मित कर जाते हैं! चुनता रहता हूँ मैं, उन लम्हों को और संजो रखता हूँ यहाँ! वही लम्हा, फिर कभी सुकून संग जीने को मन करता है, तो ये, अलग ही रंग भर देती हैं, जीवन में। "वैसे, हाथों से बिखरे पल, वापस कब आते हैं! " आइए, महसूस कीजिए, आपकी ही जीवन से जुड़े, कुछ गुजरे हुए पहलुओं को। (सर्वाधिकार सुरक्षित)

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Monday, 6 December 2021

लगाव

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धुंधला सा, वो कल का सवेरा! मुकम्मल है, या है अधूरा! कल्पनाओं का बसेरा, वो एक डेरा। खोल दो, कल की सारी खिड़कियां, झांक तो लूं, मैं जरा, क्या ...
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Saturday, 25 May 2019

अधूरे ख्वाब

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सत्य था, या झूठ था, तलाश बस वो एक था, द्वन्द के धार मे, नाव बस एक था, वही प्रवाह है, वही दोआब है.... संदली राह, मखमली चाह, मदभरी निगा...
10 comments:
Thursday, 17 December 2015

लगाव.....!

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आज मेरी जिन्दगी नें कहा, "चंद फासला जरूर रखिए हर रिश्ते के दरमियान" क्योंकि नहीं भूलती दो चीज़ें चाहे जितना भुलाओ ! एक "...
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पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
Berhampore (Murshidabad), West Bengal, India
मैं, एक आम व्यक्ति, बिल्कुल आप जैसा ही। बस लगाव है भावनाओं से, एक जुड़ाव है संवेदनाओं से। महसूस करता हूँ, तो कलम चल पड़ती है और जन्म लेती है, एक नई रचना। मेरी नवीनतम रचनाओं की जानकारी हेतु, आप इस ब्लॉग को फॉलो करें। इसकी सूचना आप मेरे WhatsApp / Contact No. 9507846018 के STATUS पर भी पा सकते हैं।
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