कविता "जीवन कलश"

जीवन के अनुभवों पर, मेरे मन के उद्घोषित शब्दों की अभिव्यक्ति है - कविता "जीवन कलश"। यूं, जीवन की राहों में, हर पल छूटता जाता है, इक-इक लम्हा। वो फिर न मिलते हैं, कहीं दोबारा ! कभी वो ही, अपना बनाकर, विस्मित कर जाते हैं! चुनता रहता हूँ मैं, उन लम्हों को और संजो रखता हूँ यहाँ! वही लम्हा, फिर कभी सुकून संग जीने को मन करता है, तो ये, अलग ही रंग भर देती हैं, जीवन में। "वैसे, हाथों से बिखरे पल, वापस कब आते हैं! " आइए, महसूस कीजिए, आपकी ही जीवन से जुड़े, कुछ गुजरे हुए पहलुओं को। (सर्वाधिकार सुरक्षित)

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Sunday, 8 May 2016

बेकरारियाँ

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अब कहाँ दिखते हैं वो बेकरारियाें के पल, जाम हसरतों के लिए कभी दूर वो जाते थे निकल, क्या रंग बदले हैं मौसम ने, अब वो भी गए हैं बदल? ...
Tuesday, 22 March 2016

एहसास एक गहराता हर पल

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एहसास एक गहराता हर पल, निर्जन तालाब में जैसे ठहरा शांत जल, खामोशी टूटती तभी जब फेकता कोई कंकड़। कभी कभी ये एहसास उठते मचल, वियावान व्य...
Thursday, 25 February 2016

गीत वही तुम दोहराओ ना!

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मन मेरा मुखरित कर जाती, संगीत नई तुम जब गाती। मन मेरा आज विकल गीत कोई तुम गाती, गीत वही मैं सुन लेता जो तुम मन से गाती, राग मुखर मैं भी...
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पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
Chennai, Tamilnadu, India
मैं, एक आम व्यक्ति, बिल्कुल आप जैसा ही। बस लगाव है भावनाओं से, एक जुड़ाव है संवेदनाओं से। महसूस करता हूँ, तो कलम चल पड़ती है और जन्म लेती है, एक नई रचना। मेरी नवीनतम रचनाओं की जानकारी हेतु, आप इस ब्लॉग को फॉलो करें। इसकी सूचना आप मेरे WhatsApp / Contact No. 9507846018 के STATUS पर भी पा सकते हैं।
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