कविता "जीवन कलश"

जीवन के अनुभवों पर, मेरे मन के उद्घोषित शब्दों की अभिव्यक्ति है - कविता "जीवन कलश"। यूं, जीवन की राहों में, हर पल छूटता जाता है, इक-इक लम्हा। वो फिर न मिलते हैं, कहीं दोबारा ! कभी वो ही, अपना बनाकर, विस्मित कर जाते हैं! चुनता रहता हूँ मैं, उन लम्हों को और संजो रखता हूँ यहाँ! वही लम्हा, फिर कभी सुकून संग जीने को मन करता है, तो ये, अलग ही रंग भर देती हैं, जीवन में। "वैसे, हाथों से बिखरे पल, वापस कब आते हैं! " आइए, महसूस कीजिए, आपकी ही जीवन से जुड़े, कुछ गुजरे हुए पहलुओं को। (सर्वाधिकार सुरक्षित)

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Wednesday, 6 January 2016

व्यक्तित्व

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व्यक्तित्व धीर गंभीर हो, बने पेड़ सा ऊँचा, आँधियों में भी हो खड़ा किए सिर ऊँचा, उगते डूबते सूरज चाँद दे तुझको आशीष, ऋतु बदलें, मेघ ...
Saturday, 26 December 2015

उम्र के इस पड़ाव पर

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मानव मन की चाह होती असीमित, ईच्छाएँ पैदा लेती इनमें अपरिमित, चाहता ये ब्रम्हांड की सीमा छू लेना, पर हासिल ना कुछ भी हो पाता। सोचता था बर...
Thursday, 17 December 2015

शख्शियत

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शख्शियत....... दरख्तों सी होनी चाहिए  शख्शियत हमारी, जड़े इतनी पैबंद के हवा के मामुली झौंके हिला न सके इन्हें, शाख इतने विशाल के, दुन...
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पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
Chennai, Tamilnadu, India
मैं, एक आम व्यक्ति, बिल्कुल आप जैसा ही। बस लगाव है भावनाओं से, एक जुड़ाव है संवेदनाओं से। महसूस करता हूँ, तो कलम चल पड़ती है और जन्म लेती है, एक नई रचना। मेरी नवीनतम रचनाओं की जानकारी हेतु, आप इस ब्लॉग को फॉलो करें। इसकी सूचना आप मेरे WhatsApp / Contact No. 9507846018 के STATUS पर भी पा सकते हैं।
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