कविता "जीवन कलश"

जीवन के अनुभवों पर, मेरे मन के उद्घोषित शब्दों की अभिव्यक्ति है - कविता "जीवन कलश"। यूं, जीवन की राहों में, हर पल छूटता जाता है, इक-इक लम्हा। वो फिर न मिलते हैं, कहीं दोबारा ! कभी वो ही, अपना बनाकर, विस्मित कर जाते हैं! चुनता रहता हूँ मैं, उन लम्हों को और संजो रखता हूँ यहाँ! वही लम्हा, फिर कभी सुकून संग जीने को मन करता है, तो ये, अलग ही रंग भर देती हैं, जीवन में। "वैसे, हाथों से बिखरे पल, वापस कब आते हैं! " आइए, महसूस कीजिए, आपकी ही जीवन से जुड़े, कुछ गुजरे हुए पहलुओं को। (सर्वाधिकार सुरक्षित)

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Wednesday, 30 December 2020

ओ तथागत-2020

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ओ तथागत! प्रतिक्षण, थी तेरी ही, इक प्रतीक्षा! जबकि, मैं, बेहद खुश था, नववर्ष की, नूतन सी आहट पर, उसी, कोमल तरुणाहट पर! गुजरा वो, क्षण भी! तु...
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Tuesday, 1 December 2020

अलविदा 2020

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तू तकता किसकी राह, ऐ अन्तिम माह! तू जाए तो, ये साल बिसारूँ! हाल सम्हालूँ, बिगरे हालात बना लूँ! तेरे होने का ही तो, बस, इक रोना था! संग होकर ...
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Monday, 30 November 2020

अबकी बारह में

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दु:ख के बादल में, अब चुनता है क्या रह-रह, अबकी, बारह में, हार चले हम ग्यारह! वो बीत चुका, अच्छा है, जो वो रीत चुका, अब तक, लील चुका है, सब व...
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पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
Chennai, Tamilnadu, India
मैं, एक आम व्यक्ति, बिल्कुल आप जैसा ही। बस लगाव है भावनाओं से, एक जुड़ाव है संवेदनाओं से। महसूस करता हूँ, तो कलम चल पड़ती है और जन्म लेती है, एक नई रचना। मेरी नवीनतम रचनाओं की जानकारी हेतु, आप इस ब्लॉग को फॉलो करें। इसकी सूचना आप मेरे WhatsApp / Contact No. 9507846018 के STATUS पर भी पा सकते हैं।
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