Saturday, 15 February 2020

अंबर तले

मेघाच्छादन
बिखरता सैलाब~
गीला क्षितिज!

डूबती नाव~
उफनाती सी धार
तैरते लोग!

डूबते जन~
क्षत विक्षत घर 
रुग्न वाहन!

डूबती शैय्या~
आहत परिजन
जन सैलाब!

रहे सोचते~
अब चलें या रुके
अंबर तले!

- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा 
 (सर्वाधिकार सुरक्षित)

16 comments:

  1. प्रशंसनीय

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    1. अत्यंत मार्मिक और कारुणिक !

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    2. मनोबल बढ़ाने हेतु हार्दिक आभार आदरणीय गोपेश जी।

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    3. मनोबल बढ़ाने हेतु हार्दिक आभार आदरणीय राकेश कौशिक जी। बहुत-बहुत स्वागत है आपका मेरे ब्लॉग ।

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  2. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 15 फरवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. सुन्दर हायकू... कुछ हटकर..
    वाह!!!

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    1. सदैव मनोबल बढ़ाने हेतु हार्दिक आभार आदरणीया सुधा देवरानी जी।

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  4. जय मां हाटेशवरी.......

    आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
    आप की इस रचना का लिंक भी......
    16/02/2020 रविवार को......
    पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
    शामिल किया गया है.....
    आप भी इस हलचल में. .....
    सादर आमंत्रित है......

    अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
    http s://www.halchalwith5links.blogspot.com
    धन्यवाद

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  5. छत ही जब सर पर गिरने लगे.
    बेहतरीन.

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    1. मनोबल बढ़ाने हेतु हार्दिक आभार आदरणीय रोहितास जी

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    1. मनोबल बढ़ाने हेतु हार्दिक आभार आदरणीया मीना जी।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय ओंकार जी ।

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