उजली सी, राह में,
जिन्दगी के, इस प्रवाह में,
बाकी रह गई,इक अजनबी सी,
चाह शायद!
है बेहद, अजीब सा मन!
हासिल है सब,
पर अजीज है, बस चाह वो,
है अजनबी,
पर है, खास वो,
दूर है,
पर है, पास वो,
ख्वाब है,
कर रहा, है बेताब वो,
कुछ फासलों से,
यूँ, गुजर चुके हैं, चाह शायद!
है बेहद, अजीब सा मन!
हासिल है सब,
पर अजीज है, बस चाह वो,
है अजनबी,
पर है, खास वो,
दूर है,
पर है, पास वो,
ख्वाब है,
कर रहा, है बेताब वो,
कुछ फासलों से,
यूँ, गुजर चुके हैं, चाह शायद!
सफर में, साथ में,
वही तस्वीर लिए, हाथ में,
बाकी रह गई,
इक अजनबी सी,
बाकी रह गई,
इक अजनबी सी,
चाह शायद!
मौन है वो, पर गौण नहीं!
ये तोलती है मन,
झकझोरकर, टटोलती है मन,
कभी, सुप्त वो,
है कभी, जीवन्त वो,
अन्तहीन सा,
प्रवाह, अनन्त वो,
आस-पास वो,
मन ही, किए वास वो,
कभी, आहटों से,
तोड़ती है मौन, चाह शायद!
ज्वलन्त रात में,
जलते वही हैं, चाह शायद!
बाकी रह गई,
कोई अजनबी सी,
मौन है वो, पर गौण नहीं!
ये तोलती है मन,
झकझोरकर, टटोलती है मन,
कभी, सुप्त वो,
है कभी, जीवन्त वो,
अन्तहीन सा,
प्रवाह, अनन्त वो,
आस-पास वो,
मन ही, किए वास वो,
कभी, आहटों से,
तोड़ती है मौन, चाह शायद!
ज्वलन्त रात में,
जलते वही हैं, चाह शायद!
बाकी रह गई,
कोई अजनबी सी,
चाह शायद!
अजनबी सी, इस राह में!
यूँ तो, मिला था,
कई अजनबी सी, चाह से,
कुछ, प्रबल हुए,
कुछ, बदल से गए,
कुछ, गुम हुए,
कुछ, पीछे ही पड़े,
रूबरू हो कर,
इस राह में,
कई अलविदा, कह गए,
अजनबी से कुछ,
अब भी बचे, चाह शायद!
अजनबी सी, इस राह में!
यूँ तो, मिला था,
कई अजनबी सी, चाह से,
कुछ, प्रबल हुए,
कुछ, बदल से गए,
कुछ, गुम हुए,
कुछ, पीछे ही पड़े,
रूबरू हो कर,
इस राह में,
कई अलविदा, कह गए,
अजनबी से कुछ,
अब भी बचे, चाह शायद!
मन की वादियों में,
वही ढूंढते हैं, राह शायद!
बाकी रह गई,
कोई अजनबी सी,
चाह शायद!
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
बहुत सुन्दर !
ReplyDeleteचातक की प्यास तो स्वाति नक्षत्र की बूँद ही बुझा सकती है.
विनम्र आभार
Deleteमन की वादियों में,
ReplyDeleteवही ढूंढते हैं, राह शायद!
बाकी रह गई,
कोई अजनबी सी,
चाह शायद... बहुत ही सुंदर
वाह! सुंदर अभिव्यक्ति 👌
ReplyDeleteसादर प्रणाम सर 🙏
विनम्र आभार
Deleteबाकी रह गयी ये अजनबी सी चाह हमेशा मन को उद्वेलित करती है...
ReplyDeleteहै बेहद, अजीब सा मन!
हासिल है सब,
पर अजीज है, बस चाह वो,
है अजनबी,
पर है, खास वो,
दूर है,
पर है, पास वो,
ख्वाब है,
कर रहा, है बेताब वो,
कुछ फासलों से,
यूँ, गुजर चुके हैं, चाह शायद!
बहुत सुन्दर ...
लाजवाब
वाह!!!
विनम्र आभार
Deleteसफर में, साथ में,
ReplyDeleteवही तस्वीर लिए, हाथ में,
बाकी रह गई,
इक अजनबी सी,
चाह शायद!
बहुत खूब अप्रतिम
विनम्र आभार
Deleteवाह! शानदार !
ReplyDeleteमौन है वो, पर गौण नहीं!
ये तोलती है मन,
झकझोरकर, टटोलती है मन,
कभी, सुप्त वो,
है कभी, जीवन्त वो,
अन्तहीन सा,
प्रवाह, अनन्त वो,
आस-पास वो,
मन ही, किए वास वो,
कभी, आहटों से,
तोड़ती है मौन, चाह शायद...बहुत सुंदर ।
विनम्र आभार
Deleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteविनम्र आभार
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