हैं कितनी अलग, ये दो बातें!
चुप से, वो कहकहे, सारे अनकहे,
गूंजता वो आंगन, बहका सा ये सावन,
लरजते दो लब, सहमे वो दो पल,
उन पलों की, ये सौगातें!
हैं कितनी अलग, ये दो बातें!
गुजर से गए जब, उभर आए तब,
नजरों से दूर, उभर आए नजरों में पर,
ख्यालों में तय, हो चले ये फासले,
हैरां करे, वो सारी यादें!
हैं कितनी अलग, ये दो बातें!
करे कैद, टिम-टिमाते वो सितारे,
टँके फलक पर, उन्हें अब कैसे उतारें,
यूँ ही देखते, बस रह से गए वहीं,
तन्हा, गुजरती रही रातें!
हैं कितनी अलग, ये दो बातें!
छूकर गईं, फिर, उनकी ही सदा,
भूलें कैसे? ओ जाते पल, तू ही बता,
छू लें कैसे! बहती सी वो है हवा,
टूटी, यहाँ कितनी शाखें!
हैं कितनी अलग, ये दो बातें!
- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
सुंदर 👌
ReplyDeleteशुक्रिया
Deleteचुप से, वो कहकहे, सारे अनकहे,
ReplyDeleteगूंजता वो आंगन, बहका सा ये सावन,
लरजते लबों पे, सहमे वो दो पल,
उन पलों की, ये सौगातें!
बहुत बढियां बेहतरीन पंक्तियां
शुक्रिया
Deleteअति सुन्दर भाव एवं कथ्य शिल्प ।
ReplyDeleteशुक्रिया
DeletePlease Read Hindi Stoay and Other Important Information in Our Hindi Blog Link are -> Hindi Story
ReplyDeleteThanks
Delete