कविता "जीवन कलश"

जीवन के अनुभवों पर, मेरे मन के उद्घोषित शब्दों की अभिव्यक्ति है - कविता "जीवन कलश"। यूं, जीवन की राहों में, हर पल छूटता जाता है, इक-इक लम्हा। वो फिर न मिलते हैं, कहीं दोबारा ! कभी वो ही, अपना बनाकर, विस्मित कर जाते हैं! चुनता रहता हूँ मैं, उन लम्हों को और संजो रखता हूँ यहाँ! वही लम्हा, फिर कभी सुकून संग जीने को मन करता है, तो ये, अलग ही रंग भर देती हैं, जीवन में। "वैसे, हाथों से बिखरे पल, वापस कब आते हैं! " आइए, महसूस कीजिए, आपकी ही जीवन से जुड़े, कुछ गुजरे हुए पहलुओं को। (सर्वाधिकार सुरक्षित)

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Saturday, 28 August 2021

दो अलग बातें

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हैं कितनी अलग, ये दो बातें! चुप से, वो कहकहे, सारे अनकहे, गूंजता वो आंगन, बहका सा ये सावन, लरजते दो लब, सहमे वो दो पल, उन पलों की, ये सौगाते...
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Sunday, 3 November 2019

प्यास

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हुई है, प्यास कैसी ये सजग? है जो, पानी से अलग! घूँट, कितनी ही पी गया मैं! प्यासा! फिर भी, कितना रह गया मैं! तृप्त, क्यूँ न होता, ये ...
12 comments:
Friday, 1 April 2016

ये अलग बात है कि...!

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ये अलग बात है कि............. दुनियाँ की इस भीड़ मे एक हम भी हैं, ये अलग बात है कि हम दिखते नही हैं इस भीड़ में। अंजान शक्लों के ढ़ेर स...
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पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
Berhampore (Murshidabad), West Bengal, India
मैं, एक आम व्यक्ति, बिल्कुल आप जैसा ही। बस लगाव है भावनाओं से, एक जुड़ाव है संवेदनाओं से। महसूस करता हूँ, तो कलम चल पड़ती है और जन्म लेती है, एक नई रचना। मेरी नवीनतम रचनाओं की जानकारी हेतु, आप इस ब्लॉग को फॉलो करें। इसकी सूचना आप मेरे WhatsApp / Contact No. 9507846018 के STATUS पर भी पा सकते हैं।
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