कविता "जीवन कलश"

जीवन के अनुभवों पर, मेरे मन के उद्घोषित शब्दों की अभिव्यक्ति है - कविता "जीवन कलश"। यूं, जीवन की राहों में, हर पल छूटता जाता है, इक-इक लम्हा। वो फिर न मिलते हैं, कहीं दोबारा ! कभी वो ही, अपना बनाकर, विस्मित कर जाते हैं! चुनता रहता हूँ मैं, उन लम्हों को और संजो रखता हूँ यहाँ! वही लम्हा, फिर कभी सुकून संग जीने को मन करता है, तो ये, अलग ही रंग भर देती हैं, जीवन में। "वैसे, हाथों से बिखरे पल, वापस कब आते हैं! " आइए, महसूस कीजिए, आपकी ही जीवन से जुड़े, कुछ गुजरे हुए पहलुओं को। (सर्वाधिकार सुरक्षित)

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Sunday, 14 October 2018

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1,11,111 Views समस्त सम्माननीय पाठकों का हार्दिक धन्यवाद दिनांक: 14.10.2018
Saturday, 26 August 2017

आभार

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" कविता जीवन कलश" https://purushottamjeevankalash.blogspot.com I am Surprised and Equally glad to see a huge TRAFFIC on my BL...
Sunday, 7 February 2016

स्मृति आभार

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यादों की धुँधली रेखायें मन में, चमकती बिजली सी काले घन में, उर मानस आह्लादित कम्पन में, जीवन डूब रहा धीमी स्पन्दन में। संगीत लहरी सी...
Wednesday, 13 January 2016

और नहीं कुछ तुमसे चाह!

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कुछ हल्का कर दो जीवन की व्यथा-भार, तुम दे दो सुख के क्षण जीवन आभार, प्रिय, बस और नही कुछ तुमसे चाह! व्यथा-भार जीवन की संभलती नही अकेल...
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पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
Berhampore (Murshidabad), West Bengal, India
मैं, एक आम व्यक्ति, बिल्कुल आप जैसा ही। बस लगाव है भावनाओं से, एक जुड़ाव है संवेदनाओं से। महसूस करता हूँ, तो कलम चल पड़ती है और जन्म लेती है, एक नई रचना। मेरी नवीनतम रचनाओं की जानकारी हेतु, आप इस ब्लॉग को फॉलो करें। इसकी सूचना आप मेरे WhatsApp / Contact No. 9507846018 के STATUS पर भी पा सकते हैं।
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