कविता "जीवन कलश"

जीवन के अनुभवों पर, मेरे मन के उद्घोषित शब्दों की अभिव्यक्ति है - कविता "जीवन कलश"। यूं, जीवन की राहों में, हर पल छूटता जाता है, इक-इक लम्हा। वो फिर न मिलते हैं, कहीं दोबारा ! कभी वो ही, अपना बनाकर, विस्मित कर जाते हैं! चुनता रहता हूँ मैं, उन लम्हों को और संजो रखता हूँ यहाँ! वही लम्हा, फिर कभी सुकून संग जीने को मन करता है, तो ये, अलग ही रंग भर देती हैं, जीवन में। "वैसे, हाथों से बिखरे पल, वापस कब आते हैं! " आइए, महसूस कीजिए, आपकी ही जीवन से जुड़े, कुछ गुजरे हुए पहलुओं को। (सर्वाधिकार सुरक्षित)

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Sunday, 5 September 2021

मझधार मध्य

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करे मन, अजनबी सी कल्पना, चाहे क्यूँ पतंगा, उसी आग में जलना! रचे प्रपंच कोई, करे कोई षडयंत्र, बुलाए पास कोई, पढ़कर मंत्र, जगाए रात भर, जलाए आ...
6 comments:
Tuesday, 9 August 2016

नेह ये कैसा?

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नेह ये कैसा? मासूम सा वो जिद्दी पतंगा, कोमल पंख लिए लौ पर उड़ता फिरता, नेह दिल में लिए दिए से कहता, पनाह मे अपनी ले ले, जीवन के कुछ पल...
Tuesday, 26 January 2016

क्षणिक पतंगे की जलती कहानी

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प्रीत की तेरी, कहानी क्षणिक पतंगे सी, अमर प्रीत, है तेरी जलते दीपक सी, था लघु, जीवन तेरी प्रीत का, पर उम्र सारी, तूने याद में बीता दी, ...
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पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
Berhampore (Murshidabad), West Bengal, India
मैं, एक आम व्यक्ति, बिल्कुल आप जैसा ही। बस लगाव है भावनाओं से, एक जुड़ाव है संवेदनाओं से। महसूस करता हूँ, तो कलम चल पड़ती है और जन्म लेती है, एक नई रचना। मेरी नवीनतम रचनाओं की जानकारी हेतु, आप इस ब्लॉग को फॉलो करें। इसकी सूचना आप मेरे WhatsApp / Contact No. 9507846018 के STATUS पर भी पा सकते हैं।
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