कविता "जीवन कलश"

जीवन के अनुभवों पर, मेरे मन के उद्घोषित शब्दों की अभिव्यक्ति है - कविता "जीवन कलश"। यूं, जीवन की राहों में, हर पल छूटता जाता है, इक-इक लम्हा। वो फिर न मिलते हैं, कहीं दोबारा ! कभी वो ही, अपना बनाकर, विस्मित कर जाते हैं! चुनता रहता हूँ मैं, उन लम्हों को और संजो रखता हूँ यहाँ! वही लम्हा, फिर कभी सुकून संग जीने को मन करता है, तो ये, अलग ही रंग भर देती हैं, जीवन में। "वैसे, हाथों से बिखरे पल, वापस कब आते हैं! " आइए, महसूस कीजिए, आपकी ही जीवन से जुड़े, कुछ गुजरे हुए पहलुओं को। (सर्वाधिकार सुरक्षित)

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Sunday, 22 November 2020

खाली कोना

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खाली सा,  कोई कोना तो होगा मन का! तेरा ही मन है,  लेकिन! बेमतलब, मत जाना मन के उस कोने, यदा-कदा, सुधि भी, ना लेना, दबी सी, आह पड़ी होगी, बरस...
20 comments:
Friday, 1 April 2016

ये अलग बात है कि...!

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ये अलग बात है कि............. दुनियाँ की इस भीड़ मे एक हम भी हैं, ये अलग बात है कि हम दिखते नही हैं इस भीड़ में। अंजान शक्लों के ढ़ेर स...
Tuesday, 22 March 2016

बेमतलब कोई बात बने

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बेमतलब ही आँचल स्नेह का मिल जाए तब कोई बात बने! वो कहते कुछ अपनी कह लूँ तब कोई बात बने! साथ कहाँ कोई देता जग में यूँ ही, यूँ बिन मतलब क...
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पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
Berhampore (Murshidabad), West Bengal, India
मैं, एक आम व्यक्ति, बिल्कुल आप जैसा ही। बस लगाव है भावनाओं से, एक जुड़ाव है संवेदनाओं से। महसूस करता हूँ, तो कलम चल पड़ती है और जन्म लेती है, एक नई रचना। मेरी नवीनतम रचनाओं की जानकारी हेतु, आप इस ब्लॉग को फॉलो करें। इसकी सूचना आप मेरे WhatsApp / Contact No. 9507846018 के STATUS पर भी पा सकते हैं।
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