कविता "जीवन कलश"

जीवन के अनुभवों पर, मेरे मन के उद्घोषित शब्दों की अभिव्यक्ति है - कविता "जीवन कलश"। यूं, जीवन की राहों में, हर पल छूटता जाता है, इक-इक लम्हा। वो फिर न मिलते हैं, कहीं दोबारा ! कभी वो ही, अपना बनाकर, विस्मित कर जाते हैं! चुनता रहता हूँ मैं, उन लम्हों को और संजो रखता हूँ यहाँ! वही लम्हा, फिर कभी सुकून संग जीने को मन करता है, तो ये, अलग ही रंग भर देती हैं, जीवन में। "वैसे, हाथों से बिखरे पल, वापस कब आते हैं! " आइए, महसूस कीजिए, आपकी ही जीवन से जुड़े, कुछ गुजरे हुए पहलुओं को। (सर्वाधिकार सुरक्षित)

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Friday, 24 June 2022

मनमीत वो ही

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गुम हो, तुम कहीं, पर तेरी परछाईयां, थी अभी तो यहीं, तुम, गुम तो नहीं! ज्यूं पर्वतों के दायरों में, एक खाई, तलहटों में, सागरों के, दुनिया इक ...
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Thursday, 1 March 2018

होली

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रंग जाऊँगा मैं प्रीत पीत,  होली में ऐ मनमीत मीत... निभाऊँगा मैं प्रीत रीत,  तेरा बन जाऊँगा मैं मनमीत मीत, रंग लाल टेसूओं से लेकर, संग उलझ...
Friday, 2 September 2016

पायल

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छुनुन-छुनुन पायल की बजने लगी हैं फिर, तहजीब के तराने वो पायल सुनाने लगी हैं फिर, उनकी पाॅवों में पायल सजने लगी हैं फिर। उनके आने की आ...
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पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
Chennai, Tamilnadu, India
मैं, एक आम व्यक्ति, बिल्कुल आप जैसा ही। बस लगाव है भावनाओं से, एक जुड़ाव है संवेदनाओं से। महसूस करता हूँ, तो कलम चल पड़ती है और जन्म लेती है, एक नई रचना। मेरी नवीनतम रचनाओं की जानकारी हेतु, आप इस ब्लॉग को फॉलो करें। इसकी सूचना आप मेरे WhatsApp / Contact No. 9507846018 के STATUS पर भी पा सकते हैं।
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