कविता "जीवन कलश"

जीवन के अनुभवों पर, मेरे मन के उद्घोषित शब्दों की अभिव्यक्ति है - कविता "जीवन कलश"। यूं, जीवन की राहों में, हर पल छूटता जाता है, इक-इक लम्हा। वो फिर न मिलते हैं, कहीं दोबारा ! कभी वो ही, अपना बनाकर, विस्मित कर जाते हैं! चुनता रहता हूँ मैं, उन लम्हों को और संजो रखता हूँ यहाँ! वही लम्हा, फिर कभी सुकून संग जीने को मन करता है, तो ये, अलग ही रंग भर देती हैं, जीवन में। "वैसे, हाथों से बिखरे पल, वापस कब आते हैं! " आइए, महसूस कीजिए, आपकी ही जीवन से जुड़े, कुछ गुजरे हुए पहलुओं को। (सर्वाधिकार सुरक्षित)

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Sunday, 10 July 2022

यकीन

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हो यकीन कैसे, इन मौसमों पर! वीथिकाएं, बिखरी यादों की भुजाएं, बीते, उन पलों के, हर लम्हे, उस ओर, बुलाए! वही, ऊंचे, दरक्तों के साए, मौसम, पतझड...
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Friday, 18 March 2022

रंग

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कुछ रंग ही तो, भरे थे हमनें, तुम्हारी मांग में, और तुमने, रंग डाले, सारे, सपने मेरे! और, आज भी, दैदिप्य सा है, तुम्हारे भाल पर, सफेद, बालों ...
Tuesday, 23 August 2016

यकीन की हदों के उस पार

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यकीन की हदों के उस पार..... दोरुखें जीवन के रास्ते, यकीन जाए तो किधर, कुछ पल चला था वो, साथ मेरे मगर, अब बदलते से रास्तों में छूटा है य...
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पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
Berhampore (Murshidabad), West Bengal, India
मैं, एक आम व्यक्ति, बिल्कुल आप जैसा ही। बस लगाव है भावनाओं से, एक जुड़ाव है संवेदनाओं से। महसूस करता हूँ, तो कलम चल पड़ती है और जन्म लेती है, एक नई रचना। मेरी नवीनतम रचनाओं की जानकारी हेतु, आप इस ब्लॉग को फॉलो करें। इसकी सूचना आप मेरे WhatsApp / Contact No. 9507846018 के STATUS पर भी पा सकते हैं।
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