कविता "जीवन कलश"

जीवन के अनुभवों पर, मेरे मन के उद्घोषित शब्दों की अभिव्यक्ति है - कविता "जीवन कलश"। यूं, जीवन की राहों में, हर पल छूटता जाता है, इक-इक लम्हा। वो फिर न मिलते हैं, कहीं दोबारा ! कभी वो ही, अपना बनाकर, विस्मित कर जाते हैं! चुनता रहता हूँ मैं, उन लम्हों को और संजो रखता हूँ यहाँ! वही लम्हा, फिर कभी सुकून संग जीने को मन करता है, तो ये, अलग ही रंग भर देती हैं, जीवन में। "वैसे, हाथों से बिखरे पल, वापस कब आते हैं! " आइए, महसूस कीजिए, आपकी ही जीवन से जुड़े, कुछ गुजरे हुए पहलुओं को। (सर्वाधिकार सुरक्षित)

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Friday, 30 September 2016

बावस्ता

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व्यस्तताओं के हाथों विवश होने के बावजूद, कई जरूरतों से बावस्त हूँ मैं...... जरूरतों में सबसे ऊपर है मेरी सृजनशीलता, सृजन की ऊर्जा ही तो...
Wednesday, 27 April 2016

व्यस्त जिन्दगानी

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व्यस्त लम्हे, हकीकत हैं ये जीवन के, पल भर को फुर्सत नही साँसें लेने की चैन के, रफ्तार से घूम़ती हैं, ये पहिए जिन्दगी के, जरूरतों के आगे ...
Wednesday, 6 April 2016

कल मिले ना मिले

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  दरमियाँ जीवन के इन वयस्त क्षणों के, स्वच्छंद फुर्सत के एहसास भी हैं जरूरी! ..सही है ना? दरमियाँ इन धड़कते दिलों के, धड़कनों के एहतराम ...
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पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
Berhampore (Murshidabad), West Bengal, India
मैं, एक आम व्यक्ति, बिल्कुल आप जैसा ही। बस लगाव है भावनाओं से, एक जुड़ाव है संवेदनाओं से। महसूस करता हूँ, तो कलम चल पड़ती है और जन्म लेती है, एक नई रचना। मेरी नवीनतम रचनाओं की जानकारी हेतु, आप इस ब्लॉग को फॉलो करें। इसकी सूचना आप मेरे WhatsApp / Contact No. 9507846018 के STATUS पर भी पा सकते हैं।
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