कविता "जीवन कलश"

जीवन के अनुभवों पर, मेरे मन के उद्घोषित शब्दों की अभिव्यक्ति है - कविता "जीवन कलश"। यूं, जीवन की राहों में, हर पल छूटता जाता है, इक-इक लम्हा। वो फिर न मिलते हैं, कहीं दोबारा ! कभी वो ही, अपना बनाकर, विस्मित कर जाते हैं! चुनता रहता हूँ मैं, उन लम्हों को और संजो रखता हूँ यहाँ! वही लम्हा, फिर कभी सुकून संग जीने को मन करता है, तो ये, अलग ही रंग भर देती हैं, जीवन में। "वैसे, हाथों से बिखरे पल, वापस कब आते हैं! " आइए, महसूस कीजिए, आपकी ही जीवन से जुड़े, कुछ गुजरे हुए पहलुओं को। (सर्वाधिकार सुरक्षित)

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Saturday, 22 June 2019

प्रभा-लेखन

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है यह, नव-प्रभात का स्पंदन! या है यह, प्रकृति का, इक सर्वश्रेष्ठ लेखन! या, खुद रचकर, इक नव-संस्करण, प्रकृति, करती है विमोचन! यूँ, रच...
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Friday, 19 April 2019

वादों का नया संस्करण

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रुक गए थे जहाँ, पल भर को कदम, ठहरी है वहीं, वो ठंढ़ी सी पवन, और बिखरे हैं वहीं, रूठे से कई ख्वाब भी, चलो मिल आएं हम, फिर, ख्वाबों से...
2 comments:
Monday, 6 August 2018

द्वितीय संस्करण

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सम्भव होता गर जीवन का द्वितीय संस्करण, समीक्षा कर लेता जीवन की भूलों का, फिर जी लेता इक नव-संस्करित जीवन! क्या मुमकिन है ये द्वितीय स...
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पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
Chennai, Tamilnadu, India
मैं, एक आम व्यक्ति, बिल्कुल आप जैसा ही। बस लगाव है भावनाओं से, एक जुड़ाव है संवेदनाओं से। महसूस करता हूँ, तो कलम चल पड़ती है और जन्म लेती है, एक नई रचना। मेरी नवीनतम रचनाओं की जानकारी हेतु, आप इस ब्लॉग को फॉलो करें। इसकी सूचना आप मेरे WhatsApp / Contact No. 9507846018 के STATUS पर भी पा सकते हैं।
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