कविता "जीवन कलश"

जीवन के अनुभवों पर, मेरे मन के उद्घोषित शब्दों की अभिव्यक्ति है - कविता "जीवन कलश"। यूं, जीवन की राहों में, हर पल छूटता जाता है, इक-इक लम्हा। वो फिर न मिलते हैं, कहीं दोबारा ! कभी वो ही, अपना बनाकर, विस्मित कर जाते हैं! चुनता रहता हूँ मैं, उन लम्हों को और संजो रखता हूँ यहाँ! वही लम्हा, फिर कभी सुकून संग जीने को मन करता है, तो ये, अलग ही रंग भर देती हैं, जीवन में। "वैसे, हाथों से बिखरे पल, वापस कब आते हैं! " आइए, महसूस कीजिए, आपकी ही जीवन से जुड़े, कुछ गुजरे हुए पहलुओं को। (सर्वाधिकार सुरक्षित)

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Sunday, 24 July 2022

एकाकी ही भला

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एकाकी खुश हूँ, मैं, एकाकी ही भला.... गम, जो दे जाते हैं, वो मन के बंधन, क्यूँ, बांध रहे, मुझसे हर क्षण, ये गीत, न वो गाएंगे, सर्वदा, मन को न...
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Sunday, 12 September 2021

वो तुम हो

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संग मेरे, मेरे ही सपनों को, बुनते हो, वो तुम हो, तुम ही हो! यूँ तो सर्वथा, सर्वदा, हूँ तुझसे जुदा, मिलते रहे, क्षितिज की, लाली में सदा, देकर...
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Friday, 11 December 2020

सूना गगन

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झाँक लेना, सूना सा, गगन भी यदा-कदा! इक छवि, तेरी ही दिखलाएगा सदा! देखती हैं, तुझको ही ये चारो दिशाएँ, झुक-झुक कर, क्षितिज पर, तुझको बुलाएं, ...
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पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
Berhampore (Murshidabad), West Bengal, India
मैं, एक आम व्यक्ति, बिल्कुल आप जैसा ही। बस लगाव है भावनाओं से, एक जुड़ाव है संवेदनाओं से। महसूस करता हूँ, तो कलम चल पड़ती है और जन्म लेती है, एक नई रचना। मेरी नवीनतम रचनाओं की जानकारी हेतु, आप इस ब्लॉग को फॉलो करें। इसकी सूचना आप मेरे WhatsApp / Contact No. 9507846018 के STATUS पर भी पा सकते हैं।
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