कविता "जीवन कलश"

जीवन के अनुभवों पर, मेरे मन के उद्घोषित शब्दों की अभिव्यक्ति है - कविता "जीवन कलश"। यूं, जीवन की राहों में, हर पल छूटता जाता है, इक-इक लम्हा। वो फिर न मिलते हैं, कहीं दोबारा ! कभी वो ही, अपना बनाकर, विस्मित कर जाते हैं! चुनता रहता हूँ मैं, उन लम्हों को और संजो रखता हूँ यहाँ! वही लम्हा, फिर कभी सुकून संग जीने को मन करता है, तो ये, अलग ही रंग भर देती हैं, जीवन में। "वैसे, हाथों से बिखरे पल, वापस कब आते हैं! " आइए, महसूस कीजिए, आपकी ही जीवन से जुड़े, कुछ गुजरे हुए पहलुओं को। (सर्वाधिकार सुरक्षित)

Thursday, 9 September 2021

टूटते किनारे

›
दो ही कदम, तो, तुम चले थे संग, पर, कितने चंचल से, थे हम, और, चुप से तुम! जैसे, रुक सी रही हो, इक नदी, चीख कर, खामोश सी हो, इक सदी, ठहर सा रह...
6 comments:
Sunday, 5 September 2021

मझधार मध्य

›
करे मन, अजनबी सी कल्पना, चाहे क्यूँ पतंगा, उसी आग में जलना! रचे प्रपंच कोई, करे कोई षडयंत्र, बुलाए पास कोई, पढ़कर मंत्र, जगाए रात भर, जलाए आ...
6 comments:
Saturday, 4 September 2021

ये शहर

›
छोड़िए भी, शहर से बेहतर थी मेरी गली। न दिन का पता, न खबर शाम की, जिन्दगी, सिर्फ यहाँ नाम की, कितनी अधूरी, हर भोर,  और, अधूरी सी, हर शाम हो च...
Wednesday, 1 September 2021

सुधि

›
भूले से, कभी सुधि लेने, आ जाओ तो, अपनी सुध-बुध, ना खो देना! निश्चित ठौर कहाँ, दरिया की मौजों का, कोई गौर कहाँ, करता सहरा के कण का, बहना है, ...
4 comments:
Tuesday, 31 August 2021

पीछे छूटा क्या

›
कोई, क्या जाने, पीछे छूटा क्या! कितना, टूटा क्या! वो वृक्ष घना था, या इक वन था, सावन था, या इक घन था, विस्तृत जीवन का, लघु आंगन था, विस्मित ...
15 comments:
Sunday, 29 August 2021

मन पंछी

›
ये मन पंछी, उन्हें ही याद करे, इस गगन से,  उन्हें, कैसे आजाद करे! झूले कैसे, गगन का ये झूला, भरे, पेंग कैसे,  पड़ा, तन्हा अकेला, तन्हाईयाँ, ...
10 comments:
Saturday, 28 August 2021

दो अलग बातें

›
हैं कितनी अलग, ये दो बातें! चुप से, वो कहकहे, सारे अनकहे, गूंजता वो आंगन, बहका सा ये सावन, लरजते दो लब, सहमे वो दो पल, उन पलों की, ये सौगाते...
8 comments:
‹
›
Home
View web version

About Me

My photo
पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
Berhampore (Murshidabad), West Bengal, India
मैं, एक आम व्यक्ति, बिल्कुल आप जैसा ही। बस लगाव है भावनाओं से, एक जुड़ाव है संवेदनाओं से। महसूस करता हूँ, तो कलम चल पड़ती है और जन्म लेती है, एक नई रचना। मेरी नवीनतम रचनाओं की जानकारी हेतु, आप इस ब्लॉग को फॉलो करें। इसकी सूचना आप मेरे WhatsApp / Contact No. 9507846018 के STATUS पर भी पा सकते हैं।
View my complete profile
Powered by Blogger.