जीवन के अनुभवों पर, मेरे मन के उद्घोषित शब्दों की अभिव्यक्ति है - कविता "जीवन कलश"। यूं, जीवन की राहों में, हर पल छूटता जाता है, इक-इक लम्हा। वो फिर न मिलते हैं, कहीं दोबारा ! कभी वो ही, अपना बनाकर, विस्मित कर जाते हैं! चुनता रहता हूँ मैं, उन लम्हों को और संजो रखता हूँ यहाँ! वही लम्हा, फिर कभी सुकून संग जीने को मन करता है, तो ये, अलग ही रंग भर देती हैं, जीवन में। "वैसे, हाथों से बिखरे पल, वापस कब आते हैं! " आइए, महसूस कीजिए, आपकी ही जीवन से जुड़े, कुछ गुजरे हुए पहलुओं को। (सर्वाधिकार सुरक्षित)
Showing posts with label विरह. Show all posts
Showing posts with label विरह. Show all posts
Sunday 25 October 2020
Friday 27 March 2020
Thursday 13 February 2020
Thursday 26 December 2019
Thursday 19 December 2019
Saturday 24 August 2019
Thursday 28 December 2017
Tuesday 19 September 2017
Thursday 3 August 2017
Saturday 1 July 2017
Wednesday 17 August 2016
Saturday 6 August 2016
Tuesday 5 July 2016
Thursday 31 March 2016
Monday 28 March 2016