Sunday 17 February 2019

दर्द के गीत -पुलवामा

सुबह नहीं होती आजकल, ऐ मेरे मीत..

सुनता रहा रातभर, मैं दर्द का गीत,
निर्झर सी, बहती रही ये आँखें,
रोता रहा मन, देख कर हाले वतन,
संग कलपती रही रात, ऐ मेरे मीत!

सुबह नही होती आजकल.....

सह जाऊँ कैसे, उन आँखों के गम,
सो जाऊँ कैसे, ऐ सोजे-वतन,
बैचैन सी फ़िज़ाएं, है मुझको जगाए,
कोई तड़पता है रातभर, ऐ मेरे मीत!

सुबह नही होती आजकल.....

है दर्द में डूबी, वो आवाज माँ की,
है पिता के लिए, बेहोश बेटी,
तकती है शून्य को, इक अभागिन,
विलखती है वो बेवश, ऐ मेरे मीत!

सुबह नही होती आजकल.....

उस आत्मा की, सुनता हूँ चीखें,
गूंज उनकी, आ-आ के टोके,
प्रतिध्वनि उनकी, बार-बार रोके!
आह करती है बेचैन, ऐ मेरे मीत!

सुबह नही होती आजकल.....

न जाने फिर कब, होगा सवेरा?
क्या फिर हँसेगा, ये देश मेरा?
कब फिर से बसेगा, ये टूटा बसेरा?
कब चमकेंगी आँखें, ऐ मेरे मीत?

सुबह नहीं होती आजकल, ऐ मेरे मीत....

- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा

16 comments:

  1. बेहद मर्मस्पर्शी रचना वीरों को शत् शत् नमन 🙏

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    1. ये व्यथा के आँसू हैं शहीद परिवारों के लिए।

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  2. हृदयस्पर्शी रचना

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    1. ये व्यथा के आँसू हैं शहीद परिवारों के लिए।

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  3. बहुत ही हृदयस्पर्शी रचना....
    वीर शहीदों को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि।

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    1. ये व्यथा के आँसू हैं शहीद परिवारों के लिए।

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  4. नमन वीर शहीदों को |
    सादर

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    1. ये व्यथा के आँसू हैं शहीद परिवारों के लिए।

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  5. नमन है देश के सैनिकों को ...
    शब्दों के उदगार नहीं नीर हैं ये ...

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    1. ये व्यथा के ही आँसू हैं शहीद परिवारों के लिए।

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  6. आदरणीय पुरुषोत्तम जी -- बहुत ही सार्थकता से आपने उस वेदना को लिखा है जिससे पूरा देश व्यथित है | हर कोई निर्दोष वीरों की शाहदत पर स्तब्ध है | उनके परिवारों की वेदना हर मन को बींध गयी |उन वीरों के लिए बस नमन और वन्दन | और उनके परिवारों में जो रिक्ति ई है उसके लिए कोई सांत्वना पर्याप्त नहीं बस समय ही मरहम है | सादर साधुवाद |

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    1. ये व्यथा के आँसू हैं शहीद परिवारों के लिए।

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  7. हर कोई बाॅर्डर पे नहीं लड़ सकता पर अपनी भावनओं को व्यक्त कर उनके लिए सम्मान जरूर अर्पित करते हैं।

    सुनता रहा रातभर, मैं दर्द का गीत,
    निर्झर सी, बहती रही ये आँखें,...

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  8. बहुत ही मर्मस्पर्शी रचना पुरुषोत्तम जी ।नमन उन वीर शहीदों को 🙏

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    1. धन्यवाद आदरणीय । देश के हालात और हालत, ऐसी पहले न थी।

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