गहन अनुभूतियों ने, हौले से सहलाया था,
न जाने, कौन यहां आया था!
किसकी परछाईं थी, जो दबे पांव आई थी!
चुप सी बातों में, कैसी गहराई थी?
जैसे, वियावान में, गूंज कोई लहराया था,
न जाने, कौन यहां आया था!
संकोचवश, वो शायद कुछ कह ना पाए हों!
वो, दो पंखुड़ियां, खुल ना पाए हों!
अनियंत्रित पग ही, उन्हें खींच लाया था,
न जाने, कौन यहां आया था!
अक्सर, उसकी ही बातें, अब करता है मन,
बिन मौसम, कैसा छाया है ये घन!
पतझड़ में, डाली फूलों से भर आया था,
न जाने, कौन यहां आया था!
भ्रम मेरा ही होगा, सत्य ये हो नहीं सकता!
नहीं एक भी कारण, आकर्षण का,
शायद, बावरे इस मन ने ही भरमाया था,
न जाने, कौन यहां आया था!
पर हूँ वहीं, अब भी, लिए वही अनुभूतियां,
पल सारे, अब भी, कंपित हैं जहां,
सीमाओं से परे, समय जिधर लाया था,
न जाने, कौन यहां आया था!
गहन अनुभूतियों नें, हौले से सहलाया था,
न जाने, कौन यहां आया था!
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
ReplyDeleteभ्रम मेरा ही होगा, सत्य ये हो नहीं सकता!
नहीं एक भी, कारण आकर्षण का,
शायद, बावरे इस मन ने ही भरमाया था,
न जाने, कौन यहां आया था....बहुत सुंदर रचना
शुक्रिया आदरणीया।।।।।
Deleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 13 मार्च 2022 को साझा की गयी है....
ReplyDeleteपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
शुक्रिया आदरणीय।।।।।
Deleteकिसकी परछाईं थी, जो दबे पांव आई थी!
ReplyDeleteचुप सी बातों में, कैसी गहराई थी?
जैसे, वियावान में, गूंज कोई लहराया था,
न जाने, कौन यहां आया था!
वाह ! बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया मीना जी।।।।
Deleteजी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज रविवार (१३ -०३ -२०२२ ) को
'प्रेम ...'(चर्चा अंक-४३६८) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
आभार आदरणीया।।।।।
Deleteबेहतरीन रचना भावनाओं से ओत-प्रोत पंक्तियां
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया भारती जी।।।।
Deleteकिसकी परछाईं थी, जो दबे पांव आई थी!
ReplyDeleteचुप सी बातों में, कैसी गहराई थी?
जैसे, वियावान में, गूंज कोई लहराया था,
न जाने, कौन यहां आया था!
कोमल अहसासों को शब्दों की माला में पिरोती हुई सुंदर रचना, गूंज की जगह नाद भी हो सकता है, जो पुल्लिंग शब्द है,
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया अनीता जी।।।।
Deleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 15 मार्च 2022 को साझा की गयी है....
ReplyDeleteपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
सादर आभार।।।।।।
Deleteबहुत बहुत सुन्दर सरस रचना
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद
Deleteआदरणीय आलोक जी, बहुत सुंदर, सरस, कोमल भावनाओं को जगाती रचना! ये पंक्तियाँ:
ReplyDeleteगहन अनुभूतियों नें, हौले से सहलाया था,
न जाने, कौन यहां आया था! बहुत अच्छी!
अदभुत हैं। --ब्रजेंद्रनाथ
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय
Deleteबहतरीन प्रस्तुति !!
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय
DeleteNice Sir .... Very Good Content . Thanks For Share It .
ReplyDelete( Facebook पर एक लड़के को लड़की के साथ हुवा प्यार )
( मेरे दिल में वो बेचैनी क्या है )
( Radhe Krishna Ki Love Story )
( Raksha Bandhan Ki Story )
( Bihar ki bhutiya haveli )
( akela pan Story in hindi )
( kya pyar ek baar hota hai Story )