Thursday, 2 February 2023

तुम या भ्रम


भ्रमित मुझे कर जाने को, तुम आते हो!

अभी-अभी, इन लहरों में, तुम ही तो थे,
गुम थे हम, उन्हीं घेरों में,
पर, यूं लौट चले वो, छूकर मुझको,
ज्यूं, तुम कुछ कह जाते हो!

भ्रमित मुझे कर जाने को, तुम आते हो!

रह जाती है, एकाकी सी तन्हा परछाईं,
और, आती-जाती, लहरें,
मध्य कहीं, सांसों में, इक एहसास,
ज्यूं, फरियाद लिए आते हों!

भ्रमित मुझे कर जाने को, तुम आते हो!

अनायास बही, इक झौंके सी, पुरवाई,
खुश्बू, तेरी ही भर लाई,
कुहू-कुहू कूकते, लरजाते कोयल,
ज्यूं, मुझको पास बुलाते हों!

भ्रमित मुझे कर जाने को, तुम आते हो!

- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा 
   (सर्वाधिकार सुरक्षित)

3 comments:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (०५ -०२-२०२३) को 'न जाने कितने अपूर्ण प्रेम के दस्तक'(चर्चा-अंक-४६३९) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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  2. बहुत अच्छी रचना ❗️
    नमस्ते 🙏❗️
    मेरी आवाज में संगीतबद्ध मेरी रचना 'चंदा रे शीतल रहना' को दिए गए लिंक पर सुनें और वहीं पर अपने विचार भी लिखें. सादर abhaar🌹❗️--ब्रजेन्द्र नाथ

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